वर्तमान में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत ने विपक्षी राजनीतिक दलों को यह दिखा दिया है कि मोदी है तो मुमकिन है.
मोदी की चाहे जितनी भी आलोचना कर लो किंतु ऐसा लगता है कि लोकतंत्र की रीढ़ माने जाने वाले जनता को नरेंद्र मोदी में अतिशय भरोसा है.
फिलहाल इस जीत का श्रेय राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के भाजपा पदाधिकारी तथा कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी को ही दिया है.
अभी तक जो विपक्ष द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 का टेस्ट ट्रायल है. पांच राज्यों में होने वाले
विधानसभा चुनाव से स्पष्ट हो गया है कि जनता लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को जनादेश देने में पीछे नहीं हटेगी. किंतु कहते हैं ना कि
राजनीति और क्रिकेट में कब कौन सी बाजी पलट जाए इसको पूरी तरीके से स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है. किंतु इतना जरूर है कि विपक्ष सकते में तो आ ही गया है.
जहां तक विधानसभा चुनाव में जीत का प्रश्न है तो ऐसा बताया जा रहा है कि पीएम मोदी ने जमकर पार्टी के लिए प्रचार किया.
उन्होंने अनेक रैलियां निकालकर जनता में भाजपा के प्रति विश्वास जगाने का काम किया था. ऐसा माना जा रहा है कि पीएम मोदी भले ही फ्रंट पर अपने धमक पैदा कर रहे थे
किंतु पर्दे के पीछे कई रणनीतिकारों ने भगवा को जिताने में अहम भूमिका निभाई जिसमें मध्य प्रदेश से पार्टी प्रभारी भूपेंद्र यादव, सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव तथा राज्य के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा का नाम शामिल है.
कांग्रेस की रणनीति को जिस तरीके से इन तीनों नेताओं की तिगड़ी ने ध्वस्त किया है उससे पता चलता है कि भाजपा का माइक्रो मैनेजमेंट बहुत ही मजबूत है.
राजस्थान की बात करें तो केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी तथा हरियाणा के दिग्गज नेता कुलदीप बिश्नोई एवं नितिन पटेल ने पार्टी की जीत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाया.
कांग्रेस नेता अशोक गहलोत की योजनाओं की काट के लिए ऐसी चालें चली कि कांग्रेस देखती रह गई. छत्तीसगढ़ में पीएम मोदी ने
अपने सबसे भरोसेमंद नेता ओम माथुर को प्रभारी बनाया जिन्होंने 2014 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के परचम लहराया था.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस मोदी को पनौती कहकर फंस गई और अपने नीति में ही चूक गई जिसका परिणाम है कि आज जहां कांग्रेस को
सबसे अधिक भरोसा था कि जनता उसे अपना जनादेश देगी किंतु हुआ इसके विपरीत. फिलहाल भाजपा तीन राज्यों में अपनी सरकार बनाने के लिए तैयार है.
अब देखना यह है कि चुनावी प्रचार के दौरान बीजेपी ने जो मेनिफेस्टो बनाकर जनता का पुन: विश्वास जीता है उसे पूरा करने में वह कितना खरा उतरती है?