राजपक्षे ने अदालत के अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की ,श्रीलंका संकट जारी

BYTHE FIRE TEAM

महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने से रोकने संबंधी अदालत के एक आदेश के खिलाफ मंगलवार को श्रीलंका की सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर की गई।

अपीलीय अदालत ने सोमवार को दिये अपने अंतरिम आदेश में राजपक्षे और उनकी कैबिनेट को अपने पद के अनुरूप काम करने से अस्थायी तौर पर रोक दिया था। राजपक्षे की विवादित सरकार के खिलाफ 122 सांसदों द्वारा दायर याचिका के जवाब में यह आदेश पारित किया गया था।

डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक सांसद जी लोकुगे ने कहा कि अपीलीय अदालत द्वारा जारी किये गये अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई है।

राजपक्षे ने सोमवार को कहा था कि वह अपीलीय अदालत के अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील करेंगे।

राजपक्षे ने एक बयान में कहा था,‘‘हम अपीलीय अदालत द्वारा जारी किये गये अंतरिम आदेश से सहमत नहीं होंगे। हम इसके खिलाफ सबसे पहले कल सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेंगे।’’
राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के फैसले के खिलाफ विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी), जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) और तमिल नेशनल एलायंस ने पिछले महीने अपीलीय अदालत में याचिका दायर की थी जिसमें प्रधानमंत्री के रूप में राजपक्षे के अधिकार को चुनौती दी गई थी।

श्रीलंका में 26 अक्टूबर से राजनीतिक संकट कायम है। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने 26 अक्टूबर को विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था और उनकी जगह राजपक्षे को नियुक्त कर दिया था।

अपीलीय अदालत का अंतरिम आदेश दोनों सिरिसेना और राजपक्षे के लिए एक बड़ा झटका है।

सिरिसेना ने बाद में संसद का कार्यकाल खत्म होने से करीब 20 महीने पहले ही उसे भंग कर दिया और चुनाव कराने के आदेश दिए थे। उच्चतम न्यायालय ने संसद भंग करने के सिरिसेना के निर्णय को पलट दिया और मध्यावधि चुनावों की तैयारियों पर रोक लगा दी थी।

राजनीतिक संकट के कारण पिछले एक महीने से ज्यादा समय से सरकार पंगु हो गई है।

गौरतलब है कि विक्रमसिंघे और राजपक्षे दोनों प्रधानमंत्री होने का दावा करते हैं। विक्रमसिंघे का कहना है कि उनकी बर्खास्तगी अवैध है क्योंकि 225 सदस्यीय संसद में उनके पास बहुमत है।

इस संकट से पहले विक्रमसिंघे की यूएनपी के पास 106 सांसदों का समर्थन हासिल था जबकि राजपक्षे और सिरिसेना की संयुक्त सीटों की संख्या 95 थी।

राजपक्षे अब तक संसद में अपना बहुमत साबित करने में विफल रहे है।

विक्रमसिंघे ने मुख्य तमिल पार्टी के समर्थन से 113 से अधिक सांसदों का समर्थन होने का दावा किया है।

तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) की सदन में 16 सीटें हैं और जेवीपी के छह सांसद है।

 

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