देश में लज्जा और उधर निर्लज्जता की सारी हदें पार करती सत्ता: बादल सरोज (Part 1)

इधर मणिपुर में घटी घटना राष्ट्रीय शर्म से आगे जाकर देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय लज्जा का विषय बन चुकी है, उधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित

देश की हुक्मरान बनी बैठी पार्टी-भाजपा-निर्लज्जता के अब तक के सारे कीर्तिमानों को ध्वस्त करती जा रही है. भयावह हिंसा की लपटों में झुलस रहे इस प्रदेश को लेकर इनका ढीठ रवैया ऐसा है,

जैसे वह देश की जनता की सहनशीलता को ललकारते हुए कह रहे हों कि “हम ऐसा ही करेंगे, तुमसे जो किया जा सकता है, कर लो.”

सामूहिक बलात्कार के बाद निर्वस्त्र करके सड़कों पर खदेड़ी जा रही महिलाओं का वीडियो वायरल होने के बाद से इस गिरोह की आपराधिक संवेदनहीनता की हजारों मिसालें हैं,

यहाँ इनमे से कुछ पर ही नजर डाल लेते हैं. वीडियो वायरल होने के बाद मणिपुर का भाजपाई मुख्यमंत्री बीरेन सिंह बजाय शर्मिन्दा होने के इस घटना पर

शर्मसार होने वालों को लगभग डांटते हुए कहता है कि “आप एक मामले के पीछे पड़े हो, यहाँ डेली वायलेंस हो रहा है, सैकड़ों सिमिलर केस हैं. इसी तरह के.” यह वायरल वीडियो 4 मई का है.

इस पर एफआईआर दर्ज होने में डेढ़ महीने से ज्यादा लगभग 48 दिन लग गए, जबकि इसकी शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग सहित हर महकमे में की जा चुकी थी.

कार्यवाहियां या गिरफ्तारियां इसके बाद भी तब तक नहीं हुईं, जब तक यह वीडियो पूरी दुनिया में भारत के लिए लज्जा का विषय नहीं बन गया.

इस पाशविक घटना की पीड़िता का बयान है कि “उसे घर से निकालकर इस बलात्कारी भीड़ के हवाले किसी और ने नहीं, खुद मणिपुर की पुलिस ने किया था।”

मगर अभी तक एक भी पुलिस वाले के निलंबन या गिरफ्तारी की जानकारी नहीं आयी है. ऐसा नहीं है कि ये सब जो बकौल बीरेन सिंह सैकड़ों की तादाद में घटा है,

मोदी सरकार की जानकारी में नहीं था. भले देर से सही, मगर कर्नाटक चुनावों से निबटने के बाद खुद गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर गए थे.

उसके बाद एक बार और हो आये हैं, उन्हें इस 4 मई की बर्बरता और उसके बाद की घटनाओं के बारे में बताया ही गया होगा.

यदि बीरेन सिंह ने नहीं बताया तो वह सीएम पद पर क्यों है? यदि उसके बताने या न बताने के बावजूद इस संवेदनशील प्रदेश के हालात के बारे में अमित शाह को नहीं पता,

तो वे क्या घुइयाँ छीलने के लिए गृह मंत्री बने बैठे हैं? इतने सब के बावजूद एफआईआर लिखने में कोई महीना भर लग जाना अनायास नहीं हैं.   

खबरें तो यहाँ तक हैं कि इस हमलावर समुदाय के भड़काऊ नेताओं को राज्य पुलिस की कुछ हजार बंदूकें तक मिली हुई हैं जिनसे वे आदिवासियों की बसाहटों पर हमले कर रहे हैं.

यह एक संदेश है: हमलावरों के प्रति नरमी का, उनके प्रति पक्षधरता का स्पष्ट संदेश, जिसकी अत्यंत खतरनाक प्रतिध्वनि करण थापर को

दिये इंटरव्यू में बहुसंख्यक मैतैई समुदाय के कथित नेता प्रमोद सिंह के एलान में देश-दुनिया ने सुनी. इस इंटरव्यू में उसने समूचे कुकी आदिवासी

समुदाय का सफाया करने की घोषणा की है और मजाल है कि बंदे के खिलाफ अभी तक एफआईआर तक दर्ज हुई हो.

 

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