प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारत के पड़ोसी देश मयनमार में इस समय स्थिति बहुत तनावपूर्ण हो गई है. स्टेट काउंसलर आंग सान सूची को नजरबंद कर लिया गया है,
तथा देश की राजधानी नायपीडा से सभी संचार माध्यम काटने के साथ ही फोन और इंटरनेट सेवा भी बंद कर दिए गए हैं. इस घटना का संज्ञान लेते हुए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि-
“सेना को देश के शासन का सम्मान करने की जरूरत है.” इस विषय में अमेरिका के व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जैन साकी ने एक बयान में बताया है कि-
वह और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन लगातार मयनमार में घटने वाली घटनाक्रमों से संपर्क साधे हुए हैं. हालांकि मयनमार में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण को नजर अंदाज़ करके
सेना के द्वारा जो तख्तापलट किया गया है वह अत्यंत ही चिंताजनक है. आपको यहां बता दें कि नवंबर 2020 में आम चुनाव कराए गए थे जिसमें सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी है,
ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 सीटों पर जीत दर्ज किया था. यह बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था.
किंतु विरोध तब शुरू हुआ जब वर्ष 2008 में सेना के द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में से 25% सीटें सेना को दिया जाना तय किया गया था जो कि संवैधानिक बदलाव को रोकने के लिए काफी है.
यहां तक कि कई अहम मंत्री पदों को भी सैनिकों के लिए सुरक्षित रखा गया. इसी आधार पर आज सेना ने तख्तापलट कर दिया है. सू ची की पार्टी ने संसद में जिस प्रभावशाली ढंग से अपना सिक्का जमाया है.
वह दशकों तक चले सू ची के अहिंसक संघर्ष का परिणाम है. वर्तमान में जो स्थिति सेना ने बनाया है उसने सू ची पर चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाकर तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दिया है.
दिक्कत तब हो गई जब इस आरोप के संबंध में सेना ने कोई पुख्ता सुबूत देने में नाकामयाब रही.