प्राप्त जानकारी के मुताबिक म्यानमार में सेना के तख्तापलट के खिलाफ लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है. सेना ने राजधानी नाइपीड़ा में वार्षिक सैन्य परेड दिवस पर लोगों के
आंदोलन को कुचलने के लिए गोलीबारी करके कर दिया जिसमें 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है. ऐसा माना जा रहा है कि सेना के द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है.
इस संबंध में ऑनलाइन न्यूज़ वेबसाइट ‘म्यानमार नाउ’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सेना की गोलीबारी में मरने वालों की संख्या लगभग 114 तक पहुंच चुकी है.
अभी अधिक संख्या में लोगों के घायल होने की भी सूचना प्राप्त हुई है. सेना के द्वारा की गई इस तरह की कार्यवाही को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा का सामना करना पड़ रहा है.
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यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि मंडल ने ट्वीट किया है कि-“म्यानमार सशस्त्र बल दिवस का दिन आतंक और अपमान का दिन माना जाएगा. बच्चों सहित निहत्थे नागरिकों की हत्या निंदनीय कृत्य है.”
इसके अतिरिक्त अमेरिकी राजदूत थॉमस राजधानी अपने बयान में कहा है कि सुरक्षा बल निहत्थे नागरिकों की हत्या कर रहे हैं. आज म्यानमार में सेना की निरंकुशता का आलम यह हो गया है कि प्रत्येक दिन नागरिकों की मृत्यु का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है.
आपको यहां बताते चलें कि म्यांमार को पहले बर्मा के नाम से जाना जाता था जो 1948 में ब्रिटेन के औपनिवेशिक कब्जे से आजाद हुआ.
हालांकि उसके पश्चात यहाँ अधिकतर समय सैन्य शासन ही रहा है. म्यांमार के लोग लोकतंत्र की बहाली के लिए सदैव प्रयास करते रहे हैं जिसकी प्रमुख नेतृत्वकर्ता आंग सान सू की रही हैं.
फिलहाल फरवरी 2021 में सेना ने ‘सु की’ की सत्ता को पलट कर फिर से काबिज हो गई है. सेना के इसी तानाशाही रवैये के विरुद्ध लोगों का रोष बढ़ता जा रहा है और वह सड़कों पर उतर कर विरोध करने के लिए विवश हुए हैं.