तब कर्मचारियों का फायदा बताकर कर्मचारियों पर NPS थोपी गई थी.
किसान बिल के संबंध में विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों का कहना है कि 3 कृषि कानून = NPS यानि बर्बादी की लिखित गारंटी है ये 3 कानून.
आज भी OPS और NPS दोनों व्यवस्थाएं जारी है, शुरूआत के दिनों में NPS(Natinal Pension Scheme) वाले 0% थे, OPS वाले 100% थे, किन्तु अब NPS वाले 70% हैं और OPS वाले 30% बचे हैं.
कुछ ही वर्षों में NPS वाले 100% हो जाएंगे , OPS वाले समाप्त जो OPS में थे वे तो अपना टाईम काट गए पंरतु आने वाली पीढ़ियां NPS को भुगत रही है और भविष्य में रोएगी और भुगतेगी.
इसी प्रकार समय के साथ साथ APMC (सरकारी मंडी) और MSP दोनों समाप्त हो जाएगी, प्राईवेट प्लेयर शुरू के 3-4 साल निश्चित तौर पर किसानों को लाभ देंगे जब तक वे अपने कंपीटैटर को APMC को समाप्त नहीं कर देते हैं.
उसके बाद लाइफ टाइम पूंजीपतियो की बल्ले-बल्ले, APMC समाप्त होने पर किसानों के पास 1 ही विकल्प होगा- Private मंडी, जहां उसे ओने-पोने दाम में अपनी फसल बेचने पर मजबूर होना पड़ेगा.
क्योंकि MSP देने के लिए पूंजीपति बाध्य नहीं है इसलिए तीनों कानूनों में एमएसपी की लिखित गारंटी होनी बहुत जरूरी है कि एमएसपी से नीचे कोई नहीं खरीदेगा.
इसलिए किसान MSP पर कानून मांग रहे हैं, ये कानून बनते ही 70% किसान संतुष्ट हो जाएंगे नहीं तो आने वाली सभी पीढ़ियां भुगतेगी. बच्चे पूछेंगे जब इन कानूनो के लिए किसान 3 डिग्री तापमान में
कड़कड़ाती ठंड में संघर्ष कर रहे थे तब आप क्या कर रहे थे ? ये किसी सरकार का विरोध नहीं है ये मसला है रोटी का, अन्नदाता के भविष्य का.
यदि सरकार मीनिमम रेट देने पर कानून बनाने को तैयार नहीं है और ज्यादा लाभ देने की बात करती है और वो भी जबरदस्ती, सोचो एक बार….
जो ये बात समझ रहा है वो सड़कों पर है और उनका समर्थन/सहयोग भी कर रहा है, यदि ये कानून जारी रहते हैं तो भविष्य में कोई भी सरकार इसे वापिस नहीं करेगी.