क्या नये दौर में सुधरेंगे भारत-पाक रिश्ते ?

BY- Saeed Alam

क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान  की पार्टी ने  जब नेशनल असेंबली में अपना बहुमत सिद्ध  किया  तो यह तय हो गया कि वह प्रधानमंत्री की शपथ लेगें . मिडीया  जगत से यह खबर आ रही थी कि इमरान खान अपने शपथ ग्रहण समारोह को भव्य बनाने के लिए सार्क देशों को आमंत्रित करने के अलावा कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी बुलाएंगे हालांकि इमरान ने इन सारी अटकलों को साफ करके एक सादे  समारोह में प्रधानमंत्री की शपथ ले लिया .

भारत और पाक पड़ोसी देश  हैं और इनकी सीमा पर तनाव  एवं कई आंतरिक समस्याओं जैसे आतंकवाद, ड्रग तस्करी, ब्लैक मार्केटिंग ,ग्रे मार्केटिंग आदि के कारण भारत में समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं  जिसका पर्याप्त सबूत पाक के विरुद्ध भारत ने सौंपा है दोनों देशों के रिश्तों पर बहस को जनम देती  है  .

इसी क्रम में जब इमरान ने नवजोत सिद्धू को पाकिस्तान बुलाया और अपने शपथ ग्रहण में शामिल किया तो भारतीय राजनीतिक विशेषज्ञों एवं कथित देश भक्तों द्वारा सिद्धू की काफी आलोचना की गयी . शिवसेना ने तो अपने पतर सामना  में उन को लताड़ लगाई .

भारत एक शांतिप्रिय देश है और पाकिस्तान के साथ रिशतों को सुधारने के लिए तैयार रहता है किंतु पाकिस्तान के हुक्मरानों के द्वारा कभी भी स्वस्थ माहौल नहीं बनने दिया जाता जिसके कारण आज भी दोनों देश अपनी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा सुरक्षा पर खर्च करने को विवश हैं.

हम एक अच्छे पड़ोसी बनकर ही अपना विकास कर सकते हैं तथा एक बेहतर कल का निर्माण शांति के साथ करने में सफल हो सकते हैं अन्यथा हमें यह नहीं भूलना चाहिए की युद्ध किसी समस्या का हल नहीं होता है.  सिर्फ शांति से ही शांति का पैगाम दिया जा सकता है.   चूँकि सिद्धू और इमरान दोनों क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं ,ऐसे में अपनी इस मुलाक़ात से निश्चित तौर पर दोनों देशों के मधुर रिश्तों की इबारत लिख सकते हैं. आशा है कि दोनों देश इस सत्य को स्वीकार करें तथा अपने को  विकासशील  से विकसित देशों की श्रेणी में स्थापित  करें.

सईद आलम खान —-स्वतंत्र लेखक एवं विचारक

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