तो अब बीजेपी को सबक सिखाने की तैयारी में है उद्धव सरकार?


BY- सलमान अली


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के समय किसी ने कल्पना नहीं की थी कि बीजेपी और शिवसेना एक दूसरे से अलग हो जाएंगे। इसका सबसे बड़ा कारण पिछले कई दशक से शिवसेना और बीजेपी का साथ और हिंदुत्व का एजेंडा था।

चुनाव के करीब 38 दिन बाद बनी शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा सरकार बीजेपी के लिए एक खतरे की घंटी तो है ही साथ में अब उद्धव ठाकरे भी कदम फूंक-फूंक कर रखेंगे।

महाराष्ट्र चुनाव के बाद एक बात जो जनता को भी समझ आ गई कि मुद्दे के इतर कुर्सी ज्यादा प्यारी है। कभी मौका मिलेगा तो कांग्रेस और भाजपा भी मिलकर सरकार बना सकते हैं।

बहरहाल अब सरकार बन गई है तो उद्धव चाहेंगे कि प्रदेश में उनकी छाप हो। बीजेपी के समय जो विरोध शिव सेना करती थी उसको अब जमीन पर उतारकर उद्धव ठाकरे की अहमियत को भी दिखाने का प्रयास होगा।

इसी क्रम में उद्धव सरकार ने कई निर्णय ले भी लिए हैं जो बीजेपी को नागवार होंगे।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य में जारी सभी परियोजनाओं की समीक्षा के आदेश दिए हैं। इनमें मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना भी शामिल है।

यही नहीं आने वाले समय में आरे कॉलोनी में बन रहे मेट्रो कारशेड की तर्ज पर ऐसी कई परियोजनाएं रोकी जा सकती हैं जिन पर भाजपा शिवसेना में मतभेद रहे हैं।

इन्हीं में दो और परियोजनाएं मुंबई-नागपुर समृद्धी कॉरिडोर और कोंकण के नाणार में प्रस्तावित ग्रीन फील्ड रिफाइनरी परियोजना शामिल है।

40000 करोड रुपए की समृद्धि कारीडोरी परियोजना को लेकर शिवसेना का शुरू में विरोध था लेकिन प्रदेश की पिछली सरकार ने महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के मंत्री शिवसेना कोटे के रहे थे इसलिए बाद में शिवसेना शांत हो गई थी।

वहीं ग्रीन फील्ड रिफाइनरी को लेकर शिवसेना का विरोध बहुत प्रबल रहा है। बुलेट ट्रेन की भांति ही यह परियोजना विदेशी सहयोग से चलनी है।

कोंकण के शिवसैनिक शुरू से ही इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। इसके विरोध में आंदोलन में शामिल होने के कारण उन पर आपराधिक मामले भी दर्ज किए गए थे।

सोमवार को उद्धव सरकार ने आरे के आंदोलनकारियों की भांति ही नाणार के आंदोलनकारियों पर से भी सभी मामले वापस ले लिए।

वहीं दूसरी तरफ पंकजा मुंडे ने ट्विटर प्रोफाइल से भाजपा राजनीतिक पार्टी समेत कई अन्य जानकारियां हटा लीं। इससे उनके भाजपा छोड़ने के कयास लोगों ने लगाने शुरू कर दिए हैं।

अब अगर महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसा होता है तो कहीं ना कहीं यह बीजेपी के लिए एक और तगड़ा झटका माना जा सकता है।

पंकजा मुंडे को महाराष्ट्र चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इसके पीछे ऐसा माना गया था कि उनके परिवार के ही लोगों का हाथ था।

अभी हिसाब से देखा जाए तो कहीं ना कहीं शिवसेना महाराष्ट्र में बीजेपी को सबक सिखाने की कोशिश कर रही है। जिस प्रकार से संजय राऊत के बयान आ रहे हैं उनसे साफ संकेत मिल रहा है कि आने वाले समय में वह बीजेपी को कई मामलों में मात देने वाले हैं।

इस पूरी कहानी के पीछे शायद शिवसेना अपनी तगड़ी मौजूदगी दिखाने का प्रयास कर रही है।

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