BY– THE FIRE TEAM
देश में भले ही राजनीति ने सांप्रदायिक सद्भावना को दूर करने का काम किया हो लेकिन फिर भी वह इंसानियत को खत्म नहीं कर पाई है। असम राज्य में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। जहाँ एक ओर वहाँ सांप्रदायिक माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है वहीं दूसरी ओर लोग इंसानियत को मजबूत करते जा रहे हैं।
दरअसल असम राज्य में एक हिंदू नवयुवक ने ट्यूमर का ऑपरेशन करवाया था जिसके लिए उसे B+ ग्रुप के खून की जरूरत थी। काफी मसक्कत के बाद भी यह ब्लड ग्रुप वहाँ नहीं मिल पा रहा था।
यह ख़बर पानुल्लाह को जब मिली तो वह रोजे की हालत में रक्तदान करने अपने एक दोस्त के साथ पहुंच गए। उनके दोस्त का नाम तापश है।
पानुल्लाह ने बताया कि वह रोजे से थे इसलिए रक्तदान करने से पहले मौलवी और कई बुजुर्ग लोगों से सलाह ली। उन्होंने कहा सबने यही कहा कि दिक्कत कोई नहीं है लेकिन तबियत खराब हो सकती है। यही कारण था कि पहले पानुल्लाह ने रोजा तोड़ा फिर रक्तदान किया।