पोर्टमोर स्कूल में पढ़ रही एरिका ने जीता स्वर्ण पदक


BYSushil Bhimta


खबर हिमाचल से-

27 अक्टूबर 2018 कांगड़ा में आयोजित अंडर 19 राज्यस्तरीय बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में पोर्टमोर स्कूल में पढ़ने वाली और कोटखाई के चक्नोल गांव में जन्मी एरिका नें ताबड़तोड़ मुक्केबाजी का प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक हांसिल किया जो हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ समस्त कोटखाई खनेटी क्षेत्र व ग्रामवासियों के लिए एक गर्व का विषय है।

इस प्रतियोगिता में 80 अव्वल मुक्केबाजों नें भाग लिया और एरिका नें अपनी काबिलियत का बेहतर प्रदर्शन करते हुए प्रतिद्वंदियों के छक्के छुड़ाकर स्वर्ण पदक झटक लिया।

एरिका के बेहतरीन प्रदर्शन और काबिलियत के बल पर ए चयन नेशनल बॉक्सिंग कोचिंग कैम्प के लिए किया गया है। इस कैम्प में भोपाल में होनें वाली नेशनल बॉक्सिंग चेम्पियनशिप के लिए चयनित मुक्केबाजों को प्रशिक्षित किया जाएगा। जो नवम्बर माह में भोपाल में होनी है।

एरिका इससे पहले भी रोहतक में आयोजित नेशनल चेम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी है और नेशनल कोचिंग कैम्प के लिए चयनित की जा चुकी है।

माता-पिता के सपनों को और अपने अरमानों को परवान चढ़ाती बेटी एरिका जज्बे और जनून से भरपूर निकल पड़ी है और मंजिल की ओर बढ़ते ये नन्हें से कदम जमी पर पकड़ बनाये हुए हर रुकावट को दूर करते हुए मंजिल की ओर कूच कर रहे हैं।

इससे पहले एरिका का चयन 29,30 अक्टूबर को किन्नोर में होने वाली बॉक्सिंग प्रतियोगिता के लिए किया गया है।
एरिका के बॉक्सिंग कोच सुरेश जी ने दिखा दिया है कि एरिका में बहुत लगन और जज्बा है। एरिका उनके अधीन अपना परीक्षण ले रही है जोकि इंदिरा गांधी खेल परिसर में बॉक्सिंग कोच हैं।

इससे पहले भी एरिका कई बार बेहतर प्रदर्शन कर चुकी है और लगातार मेहनत करते हुए बॉक्सिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ती जा रही है।

पिता चन्द्रशेखर का कहना है कि मुझे अपनी बेटी पर नाज है और पूर्ण विश्वास भी कि उसकी मेहनत और मेरे प्रयास जरूर एक दिन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाब होंगे और एरिका अवश्य एक दिन राष्ट्रीय वह अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग रिंग में धमाल मचाकर पिता चंदेशेखर के साथ साथ अपने गांव, क्षेत्र व प्रदेश, देश का नाम रोशन करेगी।

एरिका के माता-पिता

छोटे से गाँव में जन्मी और एक छोटे से शहर में पली-बढ़ी एरिका के अथक प्रयासों और मेहनत का फल है कि आज उसे स्वर्ण पदक से नवाजा गया।

उसकी उपलब्धि के लिए बिटिया एरिका और माता-पिता बधाई व सम्मान के पात्र हैं।

सपनों को उड़ान दो जज्बे को जान दो,
ना रुके कदम कभी खुदको नई पहचान दो।।

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