किसान-बागवानों के लिए वरदान साबित होगी मुख्यमंत्री मधु विकास योजना


BYTHE FIRE TEAM


80 प्रतिशत तक उपदान का प्रावधान


मंडी 23 नवम्बर 2018 :– फल राज्य के रूप में विख्यात हिमाचल प्रदेश में मौन पालन भी किसानों-बागवानों की आय बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम रहा है। यह न केवल उनके उत्पाद में विविधता लाता है, बल्कि परागण प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रदेश सरकार ने मौन पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘‘मुख्यमंत्री मधु विकास योजना’’ प्रारंभ की है। योजना के लिए इस वर्ष 10 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है।

हिमाचल में मधुमक्खी पालन न केवल मधु उत्पादन में वृद्धि में सहायक है, बल्कि मधुमक्खियों द्वारा निभाई जाने वाली जैविक तथा आर्थिक भूमिका की दृष्टि से भी आवश्यक है। प्रदेश में फलोत्पादन को ध्यान में रखते हुए मधुमक्खियों द्वारा पालीनेशन अर्थात परागण की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है।

मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के अंतर्गत प्रदेश में सभी वर्गों के मूल हिमाचली किसानों विशेषकर महिला व शारीरिक रूप से अक्षम किसानों को सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना में मौन पालकों को 80 प्रतिशत उपदान का प्रावधान किया गया है।

योजना के अंतर्गत मधुमक्खी गृहों के साथ मधुमक्खी वंशों की खरीद पर अधिकतम 50 वंशों के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। मधुमक्खी पालकों को 50 मधुमक्खी वंश प्रति लाभार्थी को 2,000 रुपए प्रति मधुमक्खी वंश की लागत पर 80 प्रतिशत लागत राशि अर्थात 1,600 रुपए प्रति मधुमक्खी वंश प्रदान की जाएगी।

कैल, चीड़, आम तथा भारतीय मानक ब्यूरो से मान्यता प्राप्त लकड़ियों द्वारा बनाए गए मधुमक्खी गृहों पर 50 मधुमक्खी गृह प्रति लाभार्थी को 2,000 रुपए प्रति मधुमक्खी वंश की लागत पर 80 प्रतिशत लागत राशि अर्थात 1,600 रुपए प्रति मधुमक्खी गृह प्रदान की जाएगी। मधुमक्खी पालन की सामग्री व उपकरणों पर भी एक सैट प्रति लाभार्थी को 20,000 रुपए प्रति इकाई की लागत पर 80 प्रतिशत लागत राशि अर्थात 16,000 रुपए प्रति मधुमक्खी वंश प्रदान की जाएगी।

योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिला में 300 मधुमक्खी वंश वाले एक मधुमक्खी पालक को 3 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। परिवहन उपदान के रूप में प्रवास अनुदान के तौर पर अंतरराज्यीय प्रवास के लिए 10,000 रुपए प्रति वर्ष की लागत पर 5,000 रुपए की राशि 100 मधुमक्खी वंश प्रति लाभार्थी को प्रति यात्रा प्रति वर्ष भी प्रदान की जाएगी।

मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत दिवारों पर व मधुमक्खी गृहों में एपिससेरेना मधुमक्खी वंशों के पालन के लिए मधुमक्खी पालकों को प्रोत्साहन के रूप में अधिकतम 5 मधुमक्खी गृहों की लागत का 100 प्रतिशत अर्थात 1,000 रुपए की राशि प्रति मधुमक्खी गृह प्रदान की जाएगी।

25 नए मधुमक्खी पालकों के लिए प्रति वर्ष 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसके तहत 400 रुपए की राशि प्रति दिन प्रति मधुमक्खी पालक को प्रदान की जाएगी। 20 व्यावसायिक मधुमक्खी पालकों के लिए खेतों व मधुमक्खी शालाओं में प्रति वर्ष सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसके तहत 1,000 रुपए की राशि प्रति दिन प्रति मधुमक्खी पालक को प्रदान की जाएगी।

इसके अतिरिक्त 20 मधुमक्खी पालकों के लिए प्रख्यात देशी व विदेशी संस्थानों में 15 दिनों का ज्ञानात्मक भ्रमण भी आयोजित किया जाएगा, जिसके तहत 7,000 रुपए की राशि प्रति दिन प्रति मधुमक्खी पालक को प्रदान की जाएगी। मधु प्रक्रमण इकाई स्थापित करने के लिए प्रोजेक्ट की लागत का 100 प्रतिशत अर्थात 50 लाख रुपए की राशि प्रति इकाई प्रदान की जाएगी।

योजना के अंतर्गत दो बीघा भूमि पर मधुमक्खी वनस्पति रोपण के लिए मधुमक्खी पालकों को प्रोत्साहन के रूप में लागत का 50 प्रतिशत अर्थात अधिकतम 3,500 रुपए की राशि प्रति मधुमक्खी पालक प्रति इकाई प्रदान की जाएगी।

इसके अतिरिक्त, बागवानी मिशन के तहत प्रदेश में मधुमक्खी पालकों को मधुमक्खी वंशों के उत्पादन पर 50 प्रतिशत अनुदान जिसमें 5 लाख रुपए (अधिकतम 2,000 मौन वंश प्रति वर्ष के उत्पादन पर) प्रदान करने का प्रावधान है।

मधुमक्खी वंश के लिए 50 प्रतिशत अनुदान जिसमें 700 रुपए प्रति मधुमक्खी वंश (अधिकतम 50 मधुमक्खी वंश प्रति बागवान) प्रदान करने का प्रावधान है। मधुमक्खी गृह के लिए 50 प्रतिशत अनुदान जिसमें 800 रुपए प्रति मधुमक्खी गृह (अधिकतम 50 मधुमक्खी गृह प्रति बागवान) प्रदान करने का प्रावधान है। शहद एक्सट्रेक्टर, फूड ग्रेड कन्टेनर इत्यादि के लिए 50 प्रतिशत अनुदान जिसमें 7,000 रुपए प्रति सैट प्रदान करने का प्रावधान है।

अधिक जानकारी के लिए नजदीक के बागवानी विभाग के कार्यालय या मौन पालन केंद्र में संपर्क किया जा सकता है।

जारीकर्ता: जिला लोक सम्पर्क अधिकारी, मंडी

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