BY– THE FIRE TEAM
एसएफआई का अखिल भारतीय सम्मेलन देश में एक ऐसा वातावरण चाहता है जहाँ देश में सभी को समान अधिकार व एक गरिमापूर्ण जीवन व्यवतीत कर सके।
इस सम्मेलन में इस बात पर खास ध्यान दिया गया कि जिस तरह से देश में लगातार मनवाधिकार पर हमले हो रहे हैं, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं, समाज के विभिन्न वर्गों तथा लोकतान्त्रिक आवाजों को राज्य तंत्रों द्वारा लगातार दबाया जा रहा है, इन सबसे लड़ने की ज़रुरत है।
सम्मेलन के दूसरे दिन सुबह प्रस्तावित राजनीतिक-सांगठनिक रिपोर्ट पर चर्चा की गयी। दोपहर के सत्र तक 15 प्रतिनिधियों द्वारा इस रिपोर्ट पर बात रखी गयी।
इसी बीच साम्प्रदायिकता पर एक सेमिनार का आयोजन भी किया गया जिसमें सुप्रसिद्ध लेखक व IIT मुम्बई के भूतपूर्व प्रोफ़ेसर राम पुनियानी ने अपना वक्तव्य रखा।
जिसमें उन्होंने वर्तमान में इतिहास के साथ हो रही छेड़-छाड़ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज इतिहास को बदलने की कोशिश की जा रही है तथा इसे साम्प्रदायिक माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
इतिहास में राजाओं के बीच जो अपने साम्राज्य को बढ़ाने की तथा अपना प्रभाव बढ़ाने के अलावा कुछ और नहीं थी उन्हें हिन्दू-मुस्लिम की लड़ाई के तौर पर दिखाने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इतिहास को इतिहास, इतिहास की तरह देखने की ज़रुरत है और इस झूठे प्रचार से बचने तथा उसका मुकाबला करने की ज़रुरत है।
वामपंथी छात्र संगठनों के नेताओं के साथ सत्र दोपहर आयोजित किया गया था। एआईएसए के संदीप सौरव, एआईएसएफ के शुभम बनर्जीफॉर्म एआईएसएफ, भविक राजा ने सत्र में वार्तालाप में सांप्रदायिकता और शिक्षा के व्यावसायीकरण और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले से लड़ने के लिए वामपंथी छात्र संगठनों की एकता को दोहराया।
सम्मेलन में अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवले, अखिल भारतीय कृषि मजदूर के सह सचिव सुनीत चोपड़ा तथा DYFI के अखिल भारतीय महासचिव अभय मुखर्जी ने इस सम्मेलन को अपने बधाई संदेश दिए। इस सम्मेलन में रिपोर्ट पर हो रही चर्चा कल भी जारी रहेगी।