BY- सुशील भीमटा
25 अप्रैल, 1945 के बाद से हिटलर के जीवन का सिर्फ़ एक ही मक़सद था – स्वयं अपनी मौत की तैयारी करना.
25 अप्रैल को ही उसने अपने निजी अंगरक्षक हींज़ लिंगे को बुला कर कहा था, “जैसे ही मैं अपने आप को गोली मारूँ तो तुम मेरे मृत शरीर को चांसलरी के बगीचे में ले जा कर उसमें आग लगा देना.
मेरी मौत के बाद कोई मुझे देखे नहीं और न ही पहचान पाए. इसके बाद तुम मेरे कमरे में वापस जाना और मेरी वर्दी, कागज़ और हर चीज़ जिसे मैंने इस्तेमाल किया है, जमा करना और बाहर आकर उसमें आग लगा देना.
सिर्फ़ अंटन ग्राफ़ के बनाए गए फ़्रेडरिक महान के तैल चित्र को तुम्हें नहीं छूना है जिसे मेरा ड्राइवर मेरी मौत के बाद सुरक्षित बर्लिन से बाहर ले जाएगा.”
हिटलर का फ़ोन अमरीका में नीलाम होगा
अपने जीवन के आख़िरी दिनों में हिटलर ज़मीन से 50 फ़िट नीचे बनाए बंकर में ही काम करते और सोते. सिर्फ़ अपनी चहेती कुतिया ब्लांडी को कसरत कराने के लिए वो कभी कभी चांसलरी के बगीचे में जाते, जहाँ चारों तरफ़ बमों से ध्वस्त टूटी हुई इमारतों के मलबे पड़े होते.
72 साल पहले जर्मन सेनाओं ने मित्र और सोवियत सेनाओं के सामने आत्मसमर्पण किया था.
हिटलर सुबह पाँच या छह बजे सोने जाते थे और दोपहर के आसपास सो कर उठते थे. हिटलर की निजी सचिव त्राउदी जुंगा, अंतिम क्षणों तक उस बंकर में हिटलर के साथ थीं.
बीबीसी से एक बार बात करते हुए उन्होंने कहा था, “आख़िरी दस दिन वास्तव में हमारे लिए एक बुरे सपने की तरह थे. हम बंकर में छिपे बैठे थे और रूसी हमारे नज़दीक चले आ रहे थे. हम उनकी गोलीबारी, बमों और गोलों की आवाज़ साफ़ सुन सकते थे.”
हिटलर ने उसी दिन ख़ुदकुशी की जिस दिन उन्होंने इवा ब्राउन से शादी की थी.
“हिटलर बंकर में बैठ कर इंतज़ार कर रहे थे कि कोई आ कर उन्हें बचाएगा. लेकिन एक बात उन्होंने शुरू से ही साफ़ कर दी थी कि अगर लड़ाई में उनकी जीत नहीं होती है तो वो बर्लिन कभी नही छोड़ेंगे और अपने ही हाथों से अपनी जान ले लेंगे. इसलिए हमे पहले से ही पता था कि क्या होने वाला है.”
“जब 22 अप्रैल, 1945 को हिटलर ने हम सबसे कहा कि अगर आप चाहें तो बर्लिन से बाहर जा सकते हैं, तो उनकी प्रेमिका इवा ब्राउन सबसे पहले बोलीं, ‘आपको पता है मैं आपको छोड़ कर कहीं नहीं जाउंगी… मैं यहीं रहूंगी.’ अनायास और अपने आप मेरे मुंह से भी यही बात निकली थी.”
बदल गए थे हिटलर:
उसी दौरान हिटलर के युद्ध उत्पादन मंत्री अल्बर्ट स्पीयर, उनसे मिलने और उनको अलविदा कहने उनके बंकर में आए थे. बाद में स्पीयर ने याद किया कि तब तक हिटलर की शख़्सियत में बहुत बदलाव आ चुके थे.
“अपने जीवन के अंतिम हफ़्तों में हिटलर की हालत ऐसी हो गई थी कि उन पर सिर्फ़ तरस खाया जा सकता था. उनका पूरा शरीर हिलने लगा था और उनके कंधे झुक गए थे. उनके कपड़े गंदे थे और सबसे बड़ी बात ये थी कि उनका मेरे प्रति रुख़ बहुत ठंडा था. मैं उनसे विदा लेने आया था. उन्हें पता था कि हम आख़िरी बार मिल रहे थे, लेकिन मुझे नहीं याद पड़ता कि उन्होंने मुझसे कोई ऐसी चीज़ कही हो जो दिल को छू लेने वाली हो.”
हिटलर की उस समय की हालत का वर्णन ‘द लाइफ़ एंड डेथ ऑफ़ अडोल्फ़ हिटलर’ लिखने वाले रॉबर्ट पेन ने भी किया है. पेन लिखते हैं, “हिटलर का चेहरा सूज गया था और उसमें असंख्य झुर्रियाँ पड़ गई थीं. उनकी आंखों में जीवन जाता रहा था. कभी कभी उनका दायां हाथ बुरी तरह से कांपने लगता था और उस कंपकपाहट को रोकने के लिए वो उसे अपने बाएं हाथ से पकड़ते थे.”
“जिस तरह से वो अपने कंधों के बीच अपने सिर को झुकाते थे, उससे किसी बूढ़े गिद्ध का आभास मिलता था. उनके पूरे व्यक्तित्व में सबसे अधिक ध्यान देने वाली बात थी, उनकी किसी शराबी की तरह लड़खड़ाती चाल. ये शायद एक बम विस्फोट में उनके कान की एक बारीक झिल्ली को हुए नुकसान की वजह से हुआ था. वो थोड़ी दूर चलते और रुक कर किसी मेज़ को कोना पकड़ लेते. छह महीनों के अंदर वो दस साल बूढ़े हो गए थे.”
बंकर में अपने अंतिम दिनों के दौरान ही हिटलर ने तय किया कि वो इवा ब्राउन से शादी कर उस रिश्ते को वैधता प्रदान करेंगे.
अपनी किताब ‘द लाइफ़ एंड डेथ ऑफ़ अडोल्फ़ हिटलर’ में रॉबर्ट पेन लिखते हैं, “सवाल उठा कि शादी कराएगा कौन? गोएबेल्स को ख़्याल आया कि किन्हीं वाल्टर वैगनर ने उनकी शादी करवाई थी. दिक्कत ये थी कि उनको ढूंढ़ा कैसे जाए ? उनके आख़िरी पते पर एक सैनिक को भेजा गया. शाम को बड़ी मुश्किल से उन्हें हिटलर के बंकर में लाया गया. लेकिन वो अपने साथ शादी का सर्टिफ़िकेट लाना भूल गए.”
“उसे लेने वो दोबारा अपने घर गए. रूसियों की भयानक गोलाबारी के बीच मलबे से अटी पड़ी सड़कों से होते हुए वैगनर वापस हिटलर के बंकर में पहुंचे. उस समय शादी की दावत शुरू होने वाली थी और हिटलर और इवा ब्राउन बहुत बेसब्री से उनका इंतज़ार कर रहे थे. हिटलर ने गोएबेल्स और ब्राउन ने बोरमन को अपना गवाह बनाया.”
रॉबर्ट पेन आगे लिखते हैं, “शादी के सर्टिफ़िकेट पर हिटलर का हस्ताक्षर एक मरे हुए कीड़े की तरह दीख रहा था. इवा ब्राउन ने पहले शादी से पहले वाला उनका नाम ब्राउन लिखना चाहा. उन्होंने ‘बी ‘ लिख भी दिया. लेकिन फिर उन्होंने उसे काटा और फिर साफ़ साफ़ इवा हिटलर ब्राउन लिखा. गोएबेल्स ने मकड़ी के जाले से मिलता जुलता हस्ताक्षर किया लेकिन उसके पहले वो डाक्टर लगाना नहीं भूले. सर्टिफ़िकेट पर तारीख लिखी थी 29 अप्रैल जो कि ग़लत थी, क्योंकि शादी होते होते रात के बारह बज कर 25 मिनट हो चुके थे. कायदे से उस पर 30 अप्रैल लिखा जाना चाहिए था.”
शादी के बाद के भोज में बोरमन, गोएबेल्स, माग्दा गोएबेल्स, जनरल क्रेब्स, जनरल बर्गडॉर्फ़, हिटलर की दो निजी सचिव और उनका शाकाहारी रसोइया भी शामिल हुआ. इवा हिटलर के स्वास्थ्य के लिए सबने जाम उठाए. इवा ने काफ़ी शैंपेन पी ली. हिटलर ने भी शैंपेन का एक घूंट लिया और पुराने दिनों के बारे में बातें करने लगे जब वो गोएबेल्स की शादी में शामिल हुए थे. फिर अचानक उनका मूड बदल गया और वो बोले, “सब ख़त्म हो गया. मुझे हर एक ने धोखा दिया.”
अपने जीवन के आखिरी दिन हिटलर ने कुछ घंटों की नींद ली और तरोताज़ा उठे. अक्सर ये देखा गया है कि मौत की सज़ा पाए कैदी अपनी मौत से पहले की रात चैन की नींद सोते हैं. नहाने और शेव करने के बाद हिटलर अपने जनरलों से मिले. उन्होंने कहा कि अंत नज़दीक है. सोवियत सैनिक किसी भी क्षण उनके बंकर में घुस सकते हैं.
हिटलर ने मार ली गोली:
रॉबर्ट पेन लिखते हैं, “हिटलर ने प्रोफ़ेसर हासे को बुला कर पूछा कि साइनाइड के कैप्सूलों पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं ? हिटलर ने ही सलाह दी कि उनका परीक्षण उनकी प्रिय कुतिया ब्लांडी पर किया जाए. परीक्षण के बाद हासे ने हिटलर को रिपोर्ट दी, ‘परीक्षण सफल रहा’. ब्लांडी को मरने में कुछ सेकेंड से ज़्यादा नहीं लगे.”
हिटलर का ये विमान बाज़ी पलट सकता था
“हिटलर की ख़ुद इस दृश्य को देखने की हिम्मत नहीं हुई. मरने के बाद ब्लांडी और उसके छह पिल्लों को एक बक्से में रख कर चांसलरी के बगीचे में लाया गया. पिल्ले अभी तक अपनी माँ के स्तनों से चिपके हुए थे. तभी ओटे ग्वेंशे ने उन्हें एक एक कर गोली मारी और उस बक्से को बगीचे में ही दफ़ना दिया गया.”
ढाई बजे हिटलर अपना आखिरी भोजन करने के लिए बैठे. ओटो ग्वेंशे को आदेश मिला कि वो 200 लीटर पेट्रोल का इंतज़ाम करे औऱ उसे जेरी केनों में भर कर बंकर के बाहरी दरवाज़े तक पहुंचाए.
हिटलर के जीवनीकार इयान करशाँ लिखते हैं, “ग्वेंशे ने जब हिटलर के शोफ़र एरिक कैंपका को इस बारे में फ़ोन किया तो कैंपका हंसने लगे. उनको पता था कि चाँसलरी में पेट्रोल की कितनी किल्लत है. वो बोले, ‘ किसी को 200 लीटर पैट्रोल की क्यों ज़रूरत हो सकती है?’ लेकिन ग्वेंशे ने आदेश के लहजे में कहा कि ये हंसने का समय नहीं है.. कैंपका ने बहुत मुश्किल से 180 लीटर पैट्रोल का इंतेज़ाम किया.”
भोजन के बाद हिटलर आख़िरी बार अपने साथियों से मिलने आए. उन्होंने बिना उनके चेहरों को देखे उनसे हाथ मिलाए. इनकी पत्नी इवा ब्राउन भी उनके साथ थीं.
उन्होंने गहरे नीले रंग की पोशाक और ब्राउन रंग के इटालियन जूते पहन रखे थे. उनकी कलाई पर हीरों से जड़ी प्लेटिनम की घड़ी बँधी हुई थी. फिर वो दोनों कमरे के अंदर चले गए. तभी एकदम से शोर सुनाई दिया. माग्दा गोएबेल्स दरवाज़े तक चिल्लाते हुए आई कि हिटलर को आत्महत्या नहीं करनी चाहिए. अगर उन्हें उनसे बात करने दी जाए तो वो उन्हें ऐसा न करने के लिए मना सकती हैं.
किसी से नहीं मिले हिटलर
गरहार्ड बोल्ट अपनी किताब ‘इन द शेल्टर विद हिटलर’ में लिखते हैं, “हिटलर का अंगरक्षक ग्वेंशे छह फ़ीट दो इंच लंबा था और बिल्कुल गोरिल्ला जैसा लगता था. माग्दा अपनी बात पर इतना ज़ोर दे रही थीं कि ग्वेंशे ने हिटलर के कमरे का दरवाज़ा खोलने का फ़ैसला किया. दरवाज़ा अंदर से लॉक नहीं था. ग्वेंशे ने हिटलर से पूछा कि क्या आप माग्दा से मिलना पसंद करेंगे? इवा का कोई पता नहीं था. शायद वो बाथरूम में थी क्योंकि अंदर से पानी चलने की आवाज़ आ रही थी. हिटलर मुड़े और बोले, ‘मैं किसी से नहीं मिलना चाहता.’ इसके बाद उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया
दरवाज़े के ठीक बाहर खड़े हेंज़ लिंगे को पता ही नहीं चला कि हिटलर ने कब अपने आप को गोली मारी. उनको इसका पहला आभास तब हुआ, जब उनकी नाक में बारूद की हल्की सी महक गई. रोकस मिस्च हिटलर के बंकर में टेलिफ़ोन ऑपरेटर थे.
कुछ सालों पहले उन्होंने बीबीसी से बात करते हुए कहा था, “अचानक मैंने सुना कि कोई हिटलर के अटेंडेंट से चिल्ला कर कह कहा था, ‘लिंगे! लिंगे! शायद हिटलर नहीं रहे.’ शायद उन्होंने गोली की आवाज़ सुनी, लेकिन मुझे तो कोई आवाज़ नहीं सुनाई दी. उसी समय हिटलर के निजी सचिव बोरमन ने सब को चुप होने के लिए कहा.”
वो जिसने हिटलर को मारने की कोशिश की..
“हर कोई फुसफुसा कर बात कर रहा था. तभी बोरमन ने हिटलर के कमरे का दरवाज़ा खोलने का हुक्म दिया. मैंने देखा हिटलर का सिर मेज़ पर लुढ़का हुआ था. इवा ब्राउन सोफ़े पर लेटी हुई थीं और उनके घुटने सीने तक मुड़े हुए थे. उन्होंने गाढ़े नीले रंग की की पोशाक पहनी हुई थी जिस पर सफ़ेद रंग की फ़्रिल लगी हुई थी.मरते मरते शायद उन्होंने अपना हाथ फैलाया था, जिसकी वजह से वहाँ रखा फूलों का गुलदस्ता गिर गया था. मैं इस दृश्य को कभी नहीं भूल सकता.”
इसके बाद लिंगे ने हिटलर के शव को कंबल में लपेट दिया और वो उसे ले कर इमरजेंसी दरवाज़े से ऊपर चांसलरी के बगीचे में लाए. बोरमन ने इवा ब्राउन के शव को अपने हाथों में उठाया.
रोकस मिस्च याद करते हैं, “जब वो हिटलर के शव को मेरे पास से ले कर गुज़रे तो उनके पैर नीचे लटक रहे थे. किसी ने मुझसे चिल्ला कर कहा, ‘जल्दी ऊपर आओ. वो लोग बॉस को जला रहे हैं. लेकिन मैं ऊपर नहीं गया.
हिटलर की निजी सचिव त्रिउदी जुंगा अपने पति के साथ
हिटलर के जीवनीकार इयान करशाँ लिखते हैं, “इस दृश्य को हिटलर के अंतिम दिनों के सभी साथी बंकर के दरवाज़े से देख रहे थे. जैसे ही उनके शवों में आग लगाई गई, सभी ने हाथ ऊँचे कर ‘हेल हिटलर’ कहा और वापस बंकर में लौट गए. उस समय तेज़ हवा चल रही थी.”
“जब लपटें कम हुई तो उनपर और पेट्रोल डाला गया. ढाई घंटे तक लपटें उठती रहीं.
रात 11 बजे ग्वेंशे ने एसएस जवानों को उन जले हुए शवों को दफ़नाने के लिए भेजा. कुछ दिनों बाद जब सोवियत जाँचकर्ताओं ने हिटलर और उनकी पत्नी के अवशेषों को बाहर निकाला तो सब कुछ समाप्त हो गया था. वहाँ एक डेंटल ब्रिज ज़रूर मिला. 1938 से हिटलर के दंत चिकित्सक के लिए काम करने वाले एक शख़्स ने पुष्टि की कि वो डेंटल ब्रिज हिटलर के ही थे.”
लेखक स्वतंत्र विचारक हैं तथा हिमाचल प्रदेश में रहते हैं।