BY–THE FIRE TEAM
हाल ही में जारी किये गए ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 के अनुसार, पाँच वर्ष से कम आयु के पाँच भारतीय बच्चों में से कम-से-कम एक बहुत अधिक कमज़ोर है, इसका मतलब है कि उनकी लंबाई के अनुपात में उनका वज़न अत्यंत कम है, जो कि अल्पपोषण की विकट स्थिति को दर्शाता है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत को इस सूचकांक में 119 देशों में से 103वाँ स्थान दिया गया है तथा देश में भुखमरी के स्तर को ‘गंभीर’ श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष भारत की रैंकिंग में तीन स्थान की गिरावट आई है।
- भारत ने तुलनात्मक रूप से संदर्भ वर्षों में तीन संकेतकों में सुधार किया है। जनसंख्या में अल्पपोषित लोगों का प्रतिशत वर्ष 2000 के 18.2% से घटकर वर्ष 2018 में 14.8% हो गया है।
- इसी अवधि में बाल मृत्यु दर 9.2% से घटकर लगभग आधी अर्थात् 4.3% हो गई है, जबकि बच्चों में बौनापन 54.2% से घटकर 38.4% हो गया।
- हालाँकि, बच्चों में आयु के अनुपात में कम वज़न का जनसंख्या में प्रसार वास्तव में पिछले संदर्भ वर्षों की तुलना में बदतर हो चुका है। वर्ष 2000 में यह 17.1% था जो कि बढ़कर वर्ष 2005 में 20% तक हो गया और वर्ष 2018 में यह 21% है।
- दक्षिण सूडान में बच्चों में आयु के अनुपात में कम वज़न का जनसंख्या में प्रसार 28% है जो कि विश्व में सर्वाधिक है।
- संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं के मुताबिक, दक्षिण एशिया में बच्चों में आयु के अनुपात में कम वज़न की दर उच्च है, जो ‘संकटपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल’ का निर्माण करती है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि 0 से 5 महीने तक के शिशुओं के लिये आयु के अनुपात में कम वज़न की दर सबसे अधिक है। साथ ही रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि जन्म संबंधी आँकड़ों और स्तनपान पर ध्यान दिया जाना महत्त्वपूर्ण है।
- इसके अलावा, दक्षिण एशिया क्षेत्र में बच्चों में कम वज़न का संबंध मातृ बॉडी मास इंडेक्स (BMI) से है, जो गर्भावस्था के दौरान माँ की पोषण संबंधी स्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता का सुझाव देता है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में पारिवारिक संपत्ति की तुलना में मातृ BMI और बेहतर जल एवं स्वच्छता तक पहुँच बच्चे में आयु के अनुपात में कम वज़न की दरों से अधिक निकटता से जुड़ी हुई है, जो यह बताती है कि अकेले गरीबी में कमी समस्या के समाधान के लिये पर्याप्त नहीं हो सकती है।
- दक्षिण एशिया में बच्चों में कम वज़न की समस्या को जो कारक कम कर सकते हैं उनमें गैर-प्रमुख खाद्य पदार्थों की खपत, स्वच्छता तक पहुँच, महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षित जल तक पहुँच, लिंग समानता और राष्ट्रीय खाद्य उपलब्धता में वृद्धि शामिल हैं।
- पिछले दो दशकों में सुधार के बावजूद वैश्विक तौर पर अभी भी भुखमरी का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। यह सूचकांक इस बात का अनुमान व्यक्त करता है कि प्रगति की वर्तमान दर पर विश्व के 50 देश वर्ष 2030 तक भुखमरी की ‘निम्न’ श्रेणी तक पहुँचने में असफल रहेंगे।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि यह संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य 2 को खतरे में डालता है, जिसका उद्देश्य 2030 तक भुखमरी को समाप्त करना है।
http://thefire.info/nation-india-rank-103-on-global-hunger-index-2018/
ग्लोबल हंगर इंडेक्स
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स नामक यह रिपोर्ट वेल्टहंगरहिल्फ़ और कंसर्न वर्ल्डवाइड द्वारा सालाना तौर पर जारी किया जाने वाला एक संयुक्त-समीक्षा प्रकाशन है जो वैश्विक, क्षेत्रीय और देश के स्तर पर भुखमरी को व्यापक रूप से मापने और उसकी पहचान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। (इस वर्ष तक इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट भी इसके प्रकाशन में शामिल था।)
- रिपोर्ट में भुखमरी के स्तर की गणना करने के लिये चार मुख्य संकेतकों का उपयोग किया जाता है। पहला संकेतक अल्पपोषण है, जो कि जनसंख्या के उस हिस्से को इंगित करता है जो अल्पपोषित है और अपर्याप्त कैलोरी उपभोग को दर्शाता है।
- अन्य तीन संकेतक पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिये निम्नलिखित आँकड़ों का उपयोग करते हैं: बच्चे में कमज़ोरी (ऊँचाई के अनुपात में कम वजन); बच्चे में बौनापन (उम्र के अनुपात में कम ऊँचाई) और बाल मृत्यु।
- जीएचआई का उद्देश्य दुनिया भर में भुखमरी को कम करने के लिये कार्रवाई को शुरू करना है।
- भुखमरी से लड़ने में प्रगति और असफलताओं का आकलन करने के लिये प्रत्येक वर्ष जीएचआई स्कोर की गणना की जाती है।
SOURCE-THE HINDU