मृत्युभोज निषेध अधिनियम 1960 क्या है ?

सरकार द्वारा मृत्यु भोज निषेध अधिनियम 1960 लगभग 6 दशकों पूर्व ही लागू कर मृत्युभोज करने पर पाबंदी लगाई जा चुकी है. इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कोई भी व्यक्ति मृत्युभोज करता है

तो उसकी सूचना जिला प्रशासनिक अधिकारी, उपखंड अधिकारी को देकर मृत्युभोज रुकवाने की आवश्यक कार्यवाही कर सकता है दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध निम्नानुसार कानूनी कार्यवाही एवं दंड का प्रावधान है.

(1) अधिनियम की धारा 3 मेँ प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति मृत्युभोज ना तो आयोजित करेगा और ना ही जीमण करेगा

(2) अधिनियम की धारा 4 में लिखा है कि जो व्यक्ति मृत्यु भोज करेगा तथा करने के लिए उकसायगा, सहायता करेगा, उसको 1 वर्ष का कारावास या ₹1000/ का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है

(3) धारा 5 के अनुसार यदि किसी व्यक्ति, पंच, सरपंच, पटवारी, ग्राम सेवक को मृत्यु भोज आयोजन की सूचना एवं पता हो तो मजिस्ट्रेट, उपखंड अधिकारी, पुलिस अधिकारी को सूचना देकर स्टे लेकर नुक्ता को रुकवा सकता है एवं सामान को ज़ब्त करवा सकता है.

फिर भी यदि कोई व्यक्ति मृत्युभोज करता है तो धारा 6 के अनुसार 1 वर्ष का कारावास अथवा ₹1000/ जुर्माना तथा दोनों से दंडित किया जा सकता है.

(4) धारा 7 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मृत्युभोज करता है, और हल्का पटवारी, ग्राम सेवक, सरपंच, कोर्ट या पुलिस को सूचना नहीं देता है तो ऐसे ग्राम सेवक, पटवारी, सरपंच को भी 3 माह की सजा या ₹1000/ जुर्माना, अथवा दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है.

(5) धारा 8 के अनुसार कोई बनिया, महाजन बोहरा किसी को उधार राशि या सामान देखकर नुक्ता करवाता है, तो वह उधारी की राशि वापस प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा तथा उधारी देने वाला भी 1 वर्ष के कारावास एवं 1000/ के दंड का भागी होगा,

अर्थात मृत्युभोज तो वर्षों पूर्व से ही बंद किया जा चुका है परंतु शिक्षा के अभाव में लोग इसकी पालना नहीं कर रहे थे. समाज में अब कुछ शिक्षा का विकास होने लगा है और मृत्यु भोज के गुण दोषों को समझने लगे हैं.

मृत्युभोज करने वालोँ के विरूद़ मृत्यु भोज निषेध अधिनियम 1960 के प्रावधानों के अनुसार प्रशासन के जरिये पाबंद करवाया जा सकता है तथा पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई जा सकती है.

मृत्युभोज एक अभिशाप है इसलिए समाज के हम सभी साथियों को शपथ ले लेनी चाहिये कि हम मृत्युभोज एवँ तिये की बैठक में जीमण नहीं करेंगे. इस कुरीति पर लगभग सभी समाजों द्वारा सुधार किया जा चुका है, फिर हम लोग क्यों नहीं सुधार कर सकते हैं?

इसको सभी समाज के लोगों को सुधार करनी चाहिए!….जय संविधान जय भारत

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