BY–THE FIRE TEAM
2019 का मानसून कछुए की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। मौसम विभाग केे आंकड़ों केेेे अनुसार इस बार 84 प्रतिशत उप संभागों में काफी कम बारिश दर्ज की गई है।
देश के 11 जलाशयों में पानी का भंडारण शून्य प्रतिशत है जो देश में पानी की भीषण कमी को दिखाता है। भारत में बारिश का मौसम 1 जून से शुरू होकर 30 सितंबर तक होता है लेकिन 22 जून तक मानसून में औसतन 39 फ़ीसदी कमी दर्ज की गई।
भारी जल संकट से जूझ रहे चेन्नई, तमिलनाडु, पुदुचेरी और कराईकल उपसंभाग में करीब 38 फीसद कम बारिश दर्ज हुई।
जून के अंत तक मानसून का एक चौथाई मौसम पूरा हो जाएगा लेकिन बारिश के अब तक के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसके मुताबिक कुछ भी ठीक नहीं है। ऐसा ही रहा तो 2019 का जून महीना इतिहास का सबसे सूखा महीना साबित हो सकता है।
1901 में मौसम की गणना शुरू हुई थी। तब से लेकर अब तक 2014 में जून का महीना सबसे कम बारिश वाला साबित हुआ था। उस साल 1 जून से लेकर 28 जून के बीच 85.8 मिलीमीटर बारिश हुई थी जोकि 42 फ़ीसदी कम रिकॉर्ड की गई थी।
1901 से लेकर अब तक केवल 3 बार ऐसा हुआ जब जून का महीना 100 मिलीमीटर से कम बारिश के साथ समाप्त हुआ।
जून 1905 में 88.7 एमएम बारिश, 1926 में 97.6 एमएम बारिश और उसके बाद 2009 में 85.7 एमएम बारिश हुई थी। 2009 का साल अब तक का सबसे सूखा वर्ष साबित हुआ है।
वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यदि जून महीने में बारिश कम होती है तो मानसून की बारिश में 77 फ़ीसदी तक की गिरावट के आसार रहते हैं।
इतिहास पर नजर डालें तो जुलाई में बारिश की कमी होने से सूखे की संभावना बढ़ जाती है। 1877 से 2005 के बीच देश को 6 दफा भीषण सूखे का सामना करना पड़ा है। इन सालों में जुलाई में मानसून कमजोर रहा था।
जल संकट काफी तेजी से बढ़ रहा है और यदि हम अभी भी सचेत नहीं हुए तो आने वाले समय में केवल पानी की वजह से लोग मरेंगे।
केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त आंकड़ों पर नजर डालें तो 91 बड़े जलाशयों में से 80 प्रतिशत में पानी सामान्य से कम है।
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