हिंदी विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया में हुई धांधली


BY- Rihai Manch


महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा इन दिनों प्रवेश परीक्षा में हुई धांधली को लेकर चर्चा में है। विश्वविद्यालय के छात्र कुलपति और प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं।

छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय में आरएसएस, एबीवीपी और भाजपा से जुड़े लोगों को अवैध तरीके से प्रवेश दिया जा रहा है। योग्य छात्रों को बाहर किया जा रहा है और अयोग्य को प्रवेश दिया जा रहा है।

हिंदी विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया में कई अनियमिततायें सामने आई हैं। एम.फिल. और पी-एच. डी. की प्रवेश परीक्षा में सारी प्रक्रिया पूरी की गई लेकिन अचानक बिना कारण बताए जनसंचार विभाग एवं समाज कार्य विभाग की प्रवेश प्रक्रिया निरस्त कर दी गई।

छात्रों को आजतक परीक्षा निरस्त करने का कारण नहीं बताया गया है। एम. फिल. जनसंचार की प्रवेश परीक्षा दुबारा आयोजित कराई गई लेकिन उसमें कई अनियमितताएं सामने आई हैं।

इसमें जिन शिक्षिका को प्रेक्षक के रूप में बुलाया गया था वो एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी (गलगोटिया यूनिवर्सिटी) से आई थीं।

इतना ही नहीं प्रेक्षक को बुलाने के लिए सही चैनल का पालन नहीं किया गया था। छात्रों का आरोप है कि जिन्हें प्रेक्षक के रूप में बुलाया गया था उन्हें ही एक महीने में कई बार मूल्यांकन के लिए बुलाया जा चुका है।

हिंदी विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग की लिखित परीक्षा में फेल छात्र को साक्षात्कार (इंटरव्यू) के लिए बुलाया गया।

वहीं इंफॉर्मेटिक्स ऐंड लैंग्वेज इंजीनियरिंग के साक्षात्कार में भेदभाव सामने आया है। कुछ छात्रों को अधिकतम नम्बर दिया गया है तो कुछ छात्रों को न्यूनतम नम्बर दिया गया है।

हिंदी विश्वविद्यालय के स्त्री अध्ययन विभाग में एम.फिल. प्रवेश परीक्षा का परिणाम 16 जुलाई को आता है। इसमें एक दलित छात्रा और दूसरी अन्य पिछड़े वर्ग की लड़की को प्रवेश के लिए योग्य पाया जाता है।

लेकिन 1 अगस्त को पहला परिणाम बिना कारण बताए निरस्त कर दूसरा परिणाम घोषित कर दिया जाता है जिसमें एक सवर्ण छात्रा का प्रवेश लिया गया है। यह सवर्ण छात्रा स्त्री अध्ययन विभाग की विभागाध्यक्ष की रिश्तेदार भी है।

छात्रों का समूह हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति से प्रवेश परीक्षा में हुई अनियमितता के संदर्भ में कई बार मिल चुके हैं लेकिन उन्हें सिर्फ गोल-मोल घुमाया जा रहा है।

कुलपति रजनीश कुमार शुक्ल ने छात्रों से कहा इस संदर्भ में मुझसे कोई उम्मीद न रखें। सोशल मीडिया पर लिखने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।

प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित छात्र गौरव गुलमोहर का कहना है कि हमें हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति से न्याय मिलेगा इसकी उम्मीद हम छोड़ चुके हैं। लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे और शोषण नहीं सहेंगे हम UGC और एमएचआरडी दिल्ली तक जाएंगे।

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