एक और महिला की जान चली गई चौपाड़ी प्रथा से


BY-THE FIRE TEAM


दुनिया के हर देश में कुछ न कुछ ऐसी प्रथाएँ हैं जिनके कारण महिलाओं का शोषण हमेशा होता रहा है. जैसे-भारत में सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह पर रोक आदि.

इसी प्रकार नेपाल में भी ऐसी कुप्रथाएँ हैं जहाँ महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है-  जिसका नाम है चौपाड़ी प्रथा.

क्या है चौपाड़ी प्रथा ?

नेपाल में एक प्रथा है चौपाड़ी, जिसमें पीरियड्स या बच्चा होने के बाद महिलाओं को एक अलग झोपड़ी में रखा जाता है. उन्हें इस दौरान अशुद्ध या अशुभ माना जाता है.

पीरियड्स के दौरान उन्हें जानवरों के लिए बने बाड़े में रहने को भी मजबूर किया जाता है. साथ ही उन्हें खाने के कुछ सामानों, भगवान और पुरुषों को भी छूने की इजाजत नहीं होती.

ये झोपड़ियां बहुत ठंडी होती हैं और किसी के भी अंदर आने का डर बना रहता है. कीड़े, सांप, बिच्छु इसमें आसानी से आ सकते हैं.

यहां औरतों के घुटन से मर जाने के कई मामले सामने आते रहे हैं. यहां तक कि एक लड़की की सांप के काटने से भी मौत हो गई थी.

पीरियड्स, नेपाल

ग़ैरकानूनी है ये प्रथा :

नेपाल में ये परंपरा तब भी जारी है जबकि सरकार इस पर प्रतिबंध ला चुकी है. पीरियड्स के दौरान महिलाओं और लड़कियों को घर से बाहर रखने की परंपरा पर 2015 में ही रोक लगा दी गई थी.

इसके बाद साल 2017 में इसे आपराधिक भी बन दिया गया. लेकिन अब भी यह परंपरा बड़े स्तर पर अपनाई जा रही है. जनवरी में एक मां और बेटों की घुटन से मौत के बाद स्थानीय लोगों ने अपने गांव की ऐसी झोपड़ियां तोड़ दी थीं.

कानून के तहत अगर कोई भी महिलाओं को इस प्रथा के पालन के लिए बाध्य करता है तो उसे तीन महीने की जेल और दो हजार रुपये तक जुर्माना हो सकता है.

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