BY-THE FIRE TEAM
लखनऊ। पिछले दिनों एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद पूरे देश में हुए बवाल व विभिन्न संगठनों के मौजूदा समय में भी चल रहे प्रदर्शनों के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस ऐक्ट को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को निर्देशित किया है कि यूपी के थानों पर मुकदमा दर्ज करते समय मजबूत आधार होने पर ही एससी-एसटी एक्ट की धारा लगाई जाए अन्यथा सामान्य व संबंधित अपराध की धाराओं में ही मुकदमा लिखा जाए।
यानि हर मामले में एससी-एसटी ऐक्ट की धारा नहीं लगेगी बल्कि पुलिस जब ठोस आधार तहरीर में पाएगी तभी इस एक्ट की धाराएं संबंधित मुकदमें में उल्लेखित की जाएगी।
हाईकोर्ट ने यूपी के डीजीपी को दिए निर्देश, कहा- मजबूत आधार हो तभी लगाएं SC/ST एक्ट@Uppolice @myogiadityanath@UPGovt @BJP4Indiahttps://t.co/ZZsAvZKR0o
— News18 India (@News18India) December 23, 2018
गौरतलब है कि यह फैसला उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले नीरज कुमार मिश्रा की याचिका पर आया है. इनके विरुद्ध गत दिनों चरथावल थाने में एससी-एसटी एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया था।
कोर्ट को बताया गया कि मामला दलित उत्पीड़न का नहीं था, उसके बावजूद इस वर्ग के पीड़ित द्वारा तहरीर दी गई थी, जिसके कारण मुकदमे में एससी-एसटी एक्ट की धारा भी लगा दी गई।
बिना किसी उपयुक्त कारण के ही एससी-एसटी एक्ट की धारा लगा देने को नीरज कुमार मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया और खुद पर दर्ज मुकदमे को रद्द करने समेत गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की।
याचिका पर न्यायमूर्ति वीके नारायण और न्यायमूर्ति एसके सिंह की पीठ ने सुनवाई शुरू की तो याची की ओर से दलील व साक्ष्य दिया गया।
इस मामले में कोर्ट ने यह पाया कि बिना किसी ठोस आधार के ही sc-st एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले में हाईकोर्ट ने याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है व राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिया है कि वह प्रदेश के सभी थानों को यह सर्कुलर जारी करें कि मुकदमा दर्ज करते समय मजबूत आधार हो
तभी एससी-एसटी एक्ट की धाराएं लगाएं अन्यथा प्राथमिकी में इस धारा को ना लगाकर सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करें।
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर तहरीर में दलित उत्पीड़न का अपराध पूरी तरह से बन रहा है, तब आवश्यक तौर पर एससी-एसटी एक्ट की धाराएं लगाई जाएं।
इस मामले पर अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी और इसी दिन याचिका पर राज्य सरकार वह विपक्षी को अपना जवाब भी दाखिल करना है।