BY-THE FIRE TEAM
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने मंगलवार को बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए कड़े कदम उठाने पर जोर देते हुए पेट्रोल, डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन से चलने वाले जेनरेटरों पर पाबंदी लगाने की वकालत की।
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उन्होंने कहा कि सरकार को इसे किसी तरह के अदालती आदेश के आने से पहले कर लेना चाहिए। साथ ही कांत ने कोयला से चलने वाले 25 साल से अधिक पुराने,
तापीय विद्युत संयंत्रों को क्रमबद्ध तरीके से बंद करने, बिजली बाजार में खुलापन लाने, वाणिज्यिक रूप से कोयला खान तथा नवीकरणीय ऊर्जा प्रसार की भी बात कही।
वह यहां 21वें ‘इंडिया पावर फोरम’ के 2018 के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा,
‘‘हमें बिजली आपूर्ति के लिए पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, पेटकोक और फर्नेस आयल से चलने वाले जनरेटरों के उपयोग और बिक्री पर पाबंदी लगाने की जरूरत है।
इसमें निजी उपयोग के लिए चलाए जाने वाले जनरेटर भी शामिल हैं। यह प्रदूषण फैलाते हैं और बिजली क्षेत्र में अक्षमता भी लाते हैं।
हम इसे पसंद करें या ना करें, लेकिन यदि सरकार इसे छह महीने में नहीं करती है तो यह कोई अदालती आदेश करा देगा।’’
कांत ने कहा कि यदि सरकार जनरेटरों पर प्रतिबंध लगाती है तो उसे 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अपनी वितरण प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत होगी।
‘‘इसके लिए हमें बिजली कटौती पर भारी जुर्माना लगाना होगा और कई कड़े कदम उठाने होंगे।’’
उल्लेखनीय है कि प्रस्तावित बिजली संशोधित विधेयक में ग्राहकों के पास अपना सेवाप्रदाता बदलने की छूट होगी, जैसी कि अभी दूरसंचार सेवा क्षेत्र में है।
बिजली क्षेत्र में नए निवेश की सुरक्षा के मुद्दे पर कांत ने कहा कि हमें स्पष्ट तौर पर ऐसे बिजली संयंत्रों को बंद करने की जरूरत है जो 25 साल से अधिक पुराने हैं। एनटीपीसी, भेल तथा अन्य कंपनियां इसे नापसंद कर सकती हैं, लेकिन यह जरूरी है।
उन्होंने कोयला खनन के निजीकरण पर जोर देते हुए कहा कि सरकार को वाणिज्यिक खनन के लिये निजी क्षेत्र को अनुमति देनी चाहिए।
बिजली वितरण कंपनियों को पटरी पर लाने की योजना उदय के बारे में कांत ने कहा, ‘‘जो बिजली उत्पादन होता है, उसे निश्चित रूप से सही कीमत पर बेचा जाना चाहिए।’’
आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने अच्छा किया है वहीं कुछ राज्यों का प्रदर्शन खराब रहा है। झारखंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और मेघालय का प्रदर्शन खराब रहा है।
स्वच्छ ऊर्जा पर जोर देते हुए नीति आयोग के सीईओ ने कहा,‘‘भविष्य बैटरी और भंडारण में है। आज बैटरी की लागत 276 डालर किलोवाट घंटा है,
वह अगले 4 से 5 साल में 70 डालर किलोवाट घंटा पर पहुंच जाने का अनुमान है। इससे इलेक्ट्रिक कार की लागत पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कार के बराबर होगी।’’