BY-THE FIRE TEAM
वर्तमान में दिन प्रतिदिन महँगी होती शिक्षा प्रणाली, निजी स्कूलों की बेतहाशा बढ़ती फीस जिससे अभिभावकों पर न केवल आर्थिक बोझ बढ़ा है बल्कि उन्हें अपने बच्चों की परवरिश ही भारी पड़ रही है.
ऐसी परिस्थिति में एक ऐसा भी विद्यालय खुला है जिसने फ़ीस की अवधारणा को ही बदल कर रख दिया है. यह स्कूल असम में खोला गया है जो आज सोशल मीडिया में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है.
इस अनोखे और असामान्य स्कूल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां बच्चों से फीस के रूप में प्लास्टिक कचरा लिया जाता है इसलिये इसकी इसकी चर्चा हर जगह हो रही है.
आपको बताते चलें कि 2013 में माजिन मुख्तार एक खास प्रोजेक्ट के तहत न्यूयॉर्क से भारत आए थे और उनके काम के सिलसिले में उनकी मुलाकात परमिता शर्मा से हुई थी.
जो कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में सामाजिक कार्य में परास्नातक की पढ़ाई कर रही थीं, अतः संयोग से वह भी शिक्षा क्षेत्र में काम करने की योजना में ही थी.
दोनों ने बाद में सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हुए अक्षरा नाम का एक स्कूल शुरू किया जो पारंपरिक शिक्षाविदों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच के अंतर की खाई को पाटने के लिए भी प्रतिबद्ध है.
चूँकि पास में लोग बड़े-बड़े कचरे के ढेर जलाते थे जिसके कारण क्लासरूम हर बार जहरीले धुएं से भर जाते थे और कोई व्यक्ति इसके बदलाव के पक्ष में नहीं था.
इसलिए उन्होंने अपने छात्रों को स्कूल की फीस के रूप में अपने प्लास्टिक कचरे को लाने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया जिसका परिणाम है कि इस तरह का विद्यालय अस्तित्व में आया.