भारत के बजरंग 65 किग्रा वर्ग में दुनिया के नंबर एक पहलवान बने


BY-THE FIRE TEAM


प्राप्त सुचना के अनुसार स्टार भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने शनिवार को 65 किग्रा वर्ग में शीर्ष विश्व रैंकिंग हासिल करके इतिहास बना दिया है।

इस सत्र में पांच पदक जीतने वाले 24 साल के बजरंग यूडब्ल्यूडब्ल्यू की सूची में 96 अंक के साथ रैंकिंग तालिका में शीर्ष पर चल रहे हैं।

बताते चलें कि इस साल उन्होंने राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया था।

बजरंग के लिए यह सत्र शानदार रहा और वह बुडापेस्ट विश्व चैंपियनशिप में वरीयता पाने वाले एकमात्र भारतीय पहलवान रहे थे।

बजरंग ने दूसरे स्थान पर मौजूद क्यूबा के एलेजांद्रो एनरिक व्लाडेस टोबियर पर मजबूत बढ़त बना रखी है जिनके 66 अंक हैं। बजरंग ने विश्व चैंपियनशिप के करीबी सेमीफाइनल में टोबियर को हराया था।

रूस के अखमद चाकेइव (62) तीसरे जबकि नए विश्व चैंपियन ताकुतो ओटोगुरो (56) चौथे स्थान पर हैं। इनके बाद तुर्की के सेलाहतिन किलिसाल्यान (50) का नंबर आता है।

बजरंग देश के एकमात्र पुरुष पहलवान हैं जिन्हें रैंकिंग में शीर्ष 10 में जगह मिली है जबकि भारत की पांच महिला पहलवानों ने भी अपने-अपने वर्ग में शीर्ष 10 में जगह बनाने में सफल रही हैं।

विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले सिर्फ चौथी भारतीय महिला पहलवान बनी पूजा ढांडा महिलाओं के 57 किग्रा वर्ग में 52 अंक के साथ छठे स्थान पर हैं। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था।

वहीं रितु फोगाट महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग में 33 अंक के साथ 10वें स्थान पर हैं और अपनी जगह सुरक्षित बना रखी हैं।

जबकि सरिता मोर 59 किग्रा वर्ग में 29 अंक के साथ सातवें तथा नवजोत कौर (32) और किरण (37) क्रमश: 68 और 76 किग्रा वर्ग में नौवें स्थान पर काबिज हैं।

बजरंग पुनिया का संक्षिप्त परिचय :

भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने एशियन गेम 2018 में पुरुषों की 65 किलोग्राम वर्ग स्पर्धा के फाइनल में जापान के पहलवान तकातानी डियाची को एकतरफा मुकाबले में 11-8 से शिकस्त दी.

एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के 9वें पहलवान हो गए. बजरंग ने अपना यह गोल्ड मेडल पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया.

बजरंग पूनिया का जन्म 26 फरवरी 1994 को हरियाणा के झाझर गाँव में हुआ. इनके पिता का नाम बलवान सिंह पुनिया हैं. इनके पिताजी भी एक पेशेवर पहलवान है.

इनकी माता का नाम ओमप्यारी हैं. इनके भाई का नाम हरिंदर पुनिया हैं. बजरंग को कुश्ती विरासत में मिली. इनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. बजरंग के सपने पूरे करने के लिए इनके पिताजी ने बहुत से त्याग किए.

वे बस का किराया बचाकर साइकिल से अपना काम पूरा करते थे. बजरंग की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी हुई. सात साल की उम्र में कुश्ती शुरू की और उन्हें उनके पिता द्वारा बहुत सहयोग मिला.

जिसके बाद बजरंग ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. बजरंग पूनिया ने भारतीय रेलवे में टिकट चेकर (TTE) का भी काम किया.

 

 

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