BY–THE FIRE TEAM
उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कानून में संशोधन को लेकर स्वर्ण संगठनों द्वारा 6 सितंबर को आहूत किये गए भारत बंद आंदोलन के दौरान मिलाजुला असर देखने को मिला।
कुछ राज्यों में इस आंदोलन का असर ज्यादा तो कुछ राज्यों में इसका बिल्कुल भी असर नहीं हुआ।
आंदोलन का ज्यादा असर राजस्थान,बिहार,मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में देखने को मिला।
सबसे ज्यादा असर राजस्थान में रहा जहां कई जगह तो पेट्रोल पंप से लेकर बाजार तक पूरी तरह से बंद कर दिए गए।
उत्तर प्रदेश के बलिया में कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव भी किए। लेकिन किसी भी प्रकार के हताहत होने की जानकारी अब तक नहीं आई।
इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत बंद पर बोलते हुए कहा कि राज्य में कुछ खास असर नहीं रहा जनजीवन सामान्य बना रहा।
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी भारत बंद पर बोलते हुए कहा कि इसके पीछे राजनीतिक साजिश है। उन्होंने कहा हमारी पार्टी(बीजेपी) में किसी तरह का कोई विरोध नहीं है।
वहीं उत्तर प्रदेश के सबसे मॉडर्न कहे जाने वाले शहर नोएडा में भी भारत बंद का काफी प्रभाव देखने को मिला। यहां सवर्ण संगठनों की ओर से विरोध प्रदर्शन किए गए।
आपको बताते चलें कि कुछ दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जो कि नोएडा का था जिसमें एक मुस्लिम युवक को भारत माता की जय कहने के लिए मजबूर किया जा रहा था, जिसमें उसको मारा भी गया था।
यदि राजस्थान की बात की जाए तो इस आंदोलन ने राजस्थान में व्यापक असर दिखाया है। यहां पर स्कूल से लेकर बाजार और व्यवसायिक प्रतिष्ठान आज बंद रहे।
वहीं बिहार में भी एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्णों के भारत बंद का प्रभाव काफी रहा।
यहां पर प्रदर्शनकारी सुबह से ही सड़कों पर उतर आए और टायर भी जलाए तथा भारत सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।
सवर्ण सेना के लोगों ने दरभंगा, आरा और राजेंद्र नगर टर्मिनल पर रेल मार्ग अवरुद्ध कर दिया जिससे ट्रेनों का परिचालन कुछ समय तक बाधित रहा। हालांकि बाद में यह परिचालन सुचारू रूप से चालू हो गया।
बिहार में भारत बंद के दौरान ही वहां के नेता पप्पू यादव को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनको कुछ लोगों ने गाड़ी से बाहर निकालकर मारने का प्रयास किया जिसमें उनको कुछ चोट भी आई।
पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि जो लोग भीड़ में शामिल थे वह उनकी जाति को बार-बार पूछकर उन पर हमला करते जा रहे थे।
आपको बताते चलें कि पप्पू यादव बिहार के मधेपुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं।
यदि बात मध्य प्रदेश की की जाए तो पूरे दिन यहां पर शांतिपूर्ण माहौल ही देखने को मिला है। कई जगह छुटपुट घटनाएं देखने को मिलीं लेकिन किसी भी प्रकार का उग्र रूप देखने को नहीं मिला।
इस राज्य के पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी ने मोदी सरकार द्वारा लाये गए एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ भाजपा से इस्तीफा दे दिया।
भारत बंद के दौरान ग्वालियर में ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया।
आखिर क्या है एससी एसटी एक्ट जिसके खिलाफ में देश के सवर्ण भारत बंद के नाम पर हुए हैं लामबंद- अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 बनाया गया था।
जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस एक्ट को लागू किया गया। इसके तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए और इनकी हर संभव मदद के लिए जरूरी उपाय किए गए।
इन पर होने वाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई ताकि अपनी बात खुलकर रख सकें। हाल ही में एससी-एसटी एक्ट को लेकर उबाल उस वक्त सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के प्रावधान में बदलाव कर इसको कथित तौर पर थोड़ा कमजोर बनाना चाहा।
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में किया था यह बदलाव- सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में थोड़ा बदलाव करते हुए कहा था कि मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जाएगा।
शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि शिकायत मिलने के बाद डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर द्वारा शुरुआती जांच की जाएगी और जांच किसी भी सूरत में 7 दिन से ज्यादा समय तक नहीं होगी।
इसके बाद डीएसपी शुरुआती जांच का नतीजा निकालेंगे की शिकायत के मुताबिक क्या कोई मामला बनता है या फिर किसी तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल की बात को मानते हुए कहा था कि इस मामले में सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।