BY-THE FIRE TEAM
भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुरेन्द्र सिंह ने फिल्म अभिनेता नसीरूददीन शाह के भारतीय होने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि शाह को पाकिस्तान चले जाना चाहिए.
अपने बयानों के कारण अकसर विवादों के घेरे में रहने वाले सिंह ने कहा, ‘शाह पाकिस्तान चले जाएं. उनके एयर टिकट व वीजा का प्रबंध मैं करूंगा.’
उन्होंने हिंदुओ का आह्वान किया कि वे विकास एवं बिजली की बजाय सम्मानजनक जीवन के लिए मोदी व योगी का समर्थन करें.
बलिया जिले के बैरिया क्षेत्र से भाजपा विधायक सिंह ने फिल्म अभिनेता शाह के हाल के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि शाह बनावटी बात बोल रहे हैं.
उनकी मानसिकता भारतीय नहीं है. उन्होंने कहा कि शाह को कश्मीरी पंडितों का दर्द समझ नहीं आया. पाक सीमा पर सैनिकों के मारे जाते समय उनका दर्द अभिनेता को समझ नहीं आता.
हनुमान जी की जाति को लेकर छिड़े विवाद पर उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि हनुमान जी को मुस्लिम से लेकर दलित व अन्य सभी वर्ग के लोग स्वीकार कर रहे हैं.
बता दें, मशहूर अभिनेता नसीरूद्दीन शाह ने पिछले दिनों एक बयान में कहा था कि देश के हालात बहुत बुरे हैं और उन्हें इस पर गुस्सा आता है.
उन्होंने कहा था कि हाल में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुई हिंसा में साफ़ देखा गया कि आज देश में गाय की जान की कीमत एक पुलिस अफसर की जान से ज्यादा है.
समाज में चारों तरफ जहर फैल चुका है और अब इसे रोक पाना मुश्किल है. शाह के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है. इसके साथ ही शाह ने कहा था कि उन्हें अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर फिक्र होती है.
इसके बाद उनके बयान पर काफी बवाल मचा था. इसी दौरान तीखी प्रतिक्रियाओं के बीच अभिनेता आशुतोष राणा ने शाह का बचाव करते हुए कहा था कि अपनी बात रखने पर किसी का ‘सामाजिक ट्रायल’ नहीं होना चाहिए.
राणा ने कहा थी कि सभी लोगों को अपने मन की बात साझा करने का अधिकार है और स्वतंत्रता का मतलब भी यही होता है. देश में अगर कोई अपने मन की बात रखता है तो क्या उसका सामाजिक ट्रायल होना चाहिए?
उन्होंने कहा कि- घर या परिवार के सदस्य की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आती है तो उस पर विचार होना चाहिए. मन की बात कहने पर इस तरह के विवाद खड़ा करने से क्या देश की अर्थव्यवस्था सुधर जाएगी या आमदनी बढ़ जाएगी.
राणा ने कहा कि इस तरह के विवाद करने से क्या रोजगार बढ़ सकता है ? इसलिए हम सबको किसी के मन की बात का सामाजिक ट्रायल नहीं करना चाहिए बल्कि उन बातों को गम्भीरता से सुनना चाहिए.