BY-THE FIRE TEAM
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर एक बार फिर से कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस पर हमला बोला है. कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के राम मंदिर से जुड़े ताजा बयान को लेकर बुधवार को उन पर निशाना साधा,
और आरोप लगाया कि यह पार्टी ‘कलयुग की कैकेयी’ है. जिसने भगवान राम को 30 वर्षों से वनवास पर भेज रखा है तथा चुनाव के समय उन्हें सिर्फ राम की याद आती है.
#RamMandirCall | BIG QUESTION to RSS, BJP: Has RSS Chief Mohan Bhagwat virtually put the opposition on notice by implying that ‘no force can stop the construction of the Ram Mandir?
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— TIMES NOW (@TimesNow) October 2, 2018
कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा- मोहन भागवत जी का बयान हमने देखा. बारिश और चुनाव के मौसम में बहुत सारे मेंढक आवाज करते हैं, पर हर आवाज यथार्थ और सच्चाई में नहीं बदल जाती.
भगवान राम तो कण-कण में हैं, देश के मन-मन में है.’ उन्होंने कहा, ‘सतयुग में कैकेयी ने भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास दिलवाया था.
कलयुग की कैकेयी भाजपा और आरएसएस ने तो भगवान राम को 30 साल से वनवास पर भेज रखा है. हर चुनाव के बाद भगवान राम को वनवास पर भेज देते हैं और चुनाव से चार महीने पहले फिर भगवान राम को याद कर लेते हैं.’
सुरजेवाला अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बताया कि – भाजपा और आरएसएस का चरित्र क्या है? मुंह में राम और मस्तिष्क में नाथूराम. ये है भारतीय जनता पार्टी की सच्चाई.
उन्होंने कहा, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्पष्ट तौर से वर्षों से कहा है कि राम जन्मभूमि – बाबरी मस्जिद का जो मामला है वह न्यायालय में विचाराधीन है. जो निर्णय न्यायालय करे वह सब पक्षों को मानना चाहिए और सरकार को उसे लागू करना चाहिए.’
आपको बताते चलें कि बीते दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का विरोध विपक्षी दल नहीं कर सकते क्योंकि देश का बहुसंख्यक समुदाय भगवान राम की पूजा करता है.
दरअसल चुनाव नजदीक है ऐसे में राजनीतिक पार्टियों की ऐसी बयानबाजियां बहुत कुछ कह रही हैं. जनता को खुद सोचना होगा कि वो अपनी लोकतान्त्रिक जिम्मेदारी निभाएं.
जब देश में इतनी बेकारी, भ्रष्टाचार, कमर तोड़ती महंगाई है, किसानों की हालत खराब है तथा गाँधी जयंती के अवसर पर उनके ऊपर लाठी चार्ज करना हालाँकि वो जायज मांग को लेकर आंदोलनरत हैं, लगातार बैंक घोटाले, देश में आंतरिक अशांति का मामला है मसलन- नक्सलवाद,कश्मीर समस्या आदि पर ध्यान न देकर धार्मिक मुद्दों को उठाना कहाँ तक न्यायसंगत है ?