दिल्ली, लखनऊ, इलाहाबाद से लेकर गोरखपुर तक जैसी जगहों को छात्रों के लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, एसएससी, इंजीनियरिंग, मेडिकल तथा सिविल सेवाओं की तैयारी कराने के लिए जानी जाती हैं.
इन संस्थाओं से हजारों की संख्या में अध्यापक पार्ट टाइम के अतिरिक्त फूल टाइम तक जुड़कर अपनी जीविका चलाते हैं. किन्तु पिछले चार महीनों से लॉकडाउन एवं अन्य कारणों की वजह से इन कोचिंग संचालकों तथा शिक्षकों की हालत बद से बदत्तर होती जा रही है.
चुँकि इनकी आय का मुख्य साधन छात्र ही होते हैं, ऐसे में इन शिक्षण संस्थाओं के न खुल पाने की वजह से एक तो इनके ऊपर किराये का बोझ बढ़ता जा रहा है, साथ ही मकान मालिक भी इनके साथ किराये को लेकर नरमी नहीं अपना रहे हैं. सरकार की तरफ से इनका संज्ञान न लेना और भारी होता जा रहा है.
उत्तर प्रदेश में कोचिंग संस्थानों के संगठन यूपी कोचिंग एसोसिएशन से राज्य के क़रीब 250 संस्थान जुड़े हैं. इस विषय में एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सिंह कहते हैं, “मार्च की शुरुआत से ही क़रीब सारे कोचिंग संस्थान बंद चल रहे हैं. यानी, चार महीने से हमें कोई आमदनी नहीं हुई है.
सरकार जो गाइडलाइन जारी करती है उसमें यूनिवर्सिटी-कॉलेज का ज़िक्र तो होता है लेकिन कोचिंग संस्थानों के बारे में कोई चर्चा नहीं होती. यूनिवर्सिटी-कॉलेजों को सरकार ने कई तरह की छूट दे रखी है,
लेकिन हमारी कोई पूछ नहीं है. ज़्यादातर कोचिंग संस्थान किराए के मकानों में चलते हैं. शुरू में तो हमने किराया दिया लेकिन अब असमर्थ हैं और मकान मालिक किराए के लिए दबाव बना रहे हैं.”