BY-THE FIRE TEAM
जब से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रंजन गगोई को राज्यसभा की सदस्यता के लिए नामित किया है तभी से विपक्षी दलों द्वारा गगोई पर कई आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं.
इस संबंध में पूर्व क़ानून मंत्री और काँग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया है कि-कृपया बतायें कि आपने अपने ही केस में निर्णय क्यों लिया?
लिफाफा बंद न्यायिक प्रणाली क्यों अपनाई गई है? चुनावी बॉन्ड मामला क्यों नहीं सुलझाया गया है? राफ़ेल मामले में क्लीन चीट कैसे दिया गया? सीबीआई निदेशक को हटाने की कौन से जरूरत क्यों आ पड़ी ?
Ranjan Gogoi :
After taking oath will explain in “ detail to the media why I accepted this “
Please also explain why :
1) presided over your own cause
2) sealed cover jurisprudence
3) electoral bond issue not taken up
4) clean chit on Rafale
5) removal of CBI director— Kapil Sibal (@KapilSibal) March 18, 2020
हालाँकि इन प्रश्नों के जवाब में गगोई ने कहा कि मै सारे प्रश्नों का उत्तर शपथ लेने के बाद दूँगा. इसके साथ ही मैंने राज्य सभा की सदस्यता क्यों लिया इस विषय में भी प्रेस वार्ता के माध्यम से स्पष्ट करूँगा.
तथ्य है कि गगोई ने खुद ऐसा बताया था कि यदि कोई न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय से सेवानिवृत होने के बाद कोई भी पद ग्रहण करता है तो यह एक धब्बे जैसा है.
उन्होंने स्वयं ऐसा करके इस परम्परा को तोड़ा है, आखिर अपने ही वक्तव्यों का उलंघन जनता में न्यायिक तंत्र को लेकर क्या संदेश जायेगा?
कौन हैं रंजन गगोई?
अक्टूबर 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के 46 वें न्यायाधीश बनने वाले पूर्वोत्तर भारत तथा असम के पहले व्यक्ति हैं. इनका कार्यकाल कई ऐतिहासिक फैसलों जैसे- अयोध्या में राममंदिर विवाद का निर्णय,
सबरीमाला केस केरल, राफेल घोटाला, असम में एनआरसी आदि के लिए याद किया जायेगा. इन्होंने जे चलेश्वर, एम बी लोकुर, जोशेफ कुरियन के साथ मिलकर उच्चतम न्यायालय के न्याय वितरण प्रणाली में अनियमितता के मददेमंजर सार्वजनिक प्रेस वार्ता भी किया था.