BY-THE FIRE TEAM
समाज के जिम्मेदार वर्गों द्वारा लगातार की जा रही बेबाक बयानबाजियों के कारण अयोध्या विवाद टूल पकड़ता जा रहा है. इसी सम्बन्ध में प्राप्त खबरों के अनुसार
प्रयागराज में कुंभ के दौरान परम धर्म संसद में राम मंदिर बनाने का एलान किया गया है. बता दें कि ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में 3 दिन तक चली धर्म संसद में कहा गया कि-
साधू संत प्रयागराज से सीधे अयोध्या जाएंगे और 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम होगा. कुम्भ मेला में 28, 29 और 30 जनवरी को चले धर्म संसद के अंतिम दिन
#AyodhyaRamMandir: While the Vishwa Hindu Parishad (VHP) has decided to hold its Ram Mandir-centric Dharma Sansad …
Congress tries to get backdoor entry in Ram Mandir issue; Hindu seer close to it announces Ayodhya march on Feb 21???
https://t.co/rDlFnSFhSU— Gouri (@gdeshpa1) January 31, 2019
ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा पारित परम धर्मादेश में हिंदू समाज से बसंत पंचमी के बाद प्रयागराज से अयोध्या के लिए प्रस्थान करने का आह्वान किया है.
उन्होंने कहा कि अगर अयोध्या में एकत्रित हुए लोगों को गोलियों को सामना करना पड़ेगा तो भी उनके कदम पीछे नहीं हटेंगे.
धर्मसंसद के समापन के बाद जारी धर्मादेश में कहा गया है, “सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रथम चरण में हिंदुओं की मनोकामना की पूर्ति के लिए यजुर्वेद, कृष्ण यजुर्वेद
तथा शतपथ ब्राह्मण में बताए गए इष्टिका न्यास विधि सम्मत कराने के लिए 21 फरवरी, 2019 का शुभ मुहूर्त निकाला गया है.” धर्मादेश के मुताबिक,
“इसके लिए यदि हमें गोली भी खानी पड़ी या जेल भी जाना पड़े तो उसके लिए हम तैयार हैं. यदि हमारे इस कार्य में सत्ता के तीन अंगों में से किसी के द्वारा अवरोध डाला गया तो
ऐसी स्थिति में संपूर्ण हिंदू जनता को यह धर्मादेश जारी करते हैं कि जब तक श्री रामजन्मभूमि विवाद का निर्णय नहीं हो जाता अथवा हमें राम जन्मभूमि प्राप्त नहीं हो जाती,
तब तक प्रत्येक हिंदू का यह कर्तव्य होगा कि चार इष्टिकाओं को अयोध्या ले जाकर वेदोक्त इष्टिका न्यास पूजन करें.” धर्मादेश में कहा गया है,
“न्यायपालिका की शीघ्र निर्णय की अपेक्षा धूमिल होते देख हमने विधायिका से अपेक्षा की और 27 नवंबर, 2018 को परम धर्मादेश जारी करते हुए भारत सरकार एवं भारत की संसद से अनुरोध किया था कि-
वे संविधान के अनुच्छेद 133 एवं 137 में अनुच्छेद 226 (3) के अनुसार एक नई कंडिका को संविधान संशोधन के माध्यम से प्रविष्ट कर उच्चतम न्यायालय को चार सप्ताह में राम जन्मभूमि विवाद के निस्तारण के लिए बाध्य करे.”
उन्होंने कहा, “लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि संसद में पूर्ण बहुमत वाली सरकार ने राम जन्मभूमि के संबंध में कुछ भी करने से इनकार कर दिया.
वहीं दूसरी ओर, इस सरकार ने दो दिन में ही संसद के दोनों सदनों में आरक्षण संबंधित विधेयक पारित करवाकर अपने प्रचंड बहुमत का प्रदर्शन किया था.”