क़ानून के बावजूद भारत में बढ़े तीन तलाक़ के मामले


BY-THE FIRE TEAM


मीडिया गलियारों की ख़बर के मुताबिक़, एक ही साथ तीन तलाक़ को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दिए जाने के बावजूद यह प्रथा बंद नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश में तीन तलाक़ के 248 मामले सामने आए हैं.

केंद्र ने ये जानकारी बुधवार को लोकसभा में दी है. केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में कहा, ”देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ तीन तलाक़ के कई मामले सामने आए हैं.”

सुष्मिता देव ने सरकार से पूछा था कि क्या कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन तलाक़ की प्रथा जारी है ? इस पर रविशंकर प्रसाद ने लिखित जवाब में कहा,

‘हां, मीडिया और कुछ दूसरी रिपोर्ट के अनुसार एक जनवरी 2017 से अब तक 477 मामले सामने आए हैं. सबसे ज़्यादा मामले यूपी से आए हैं.”

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट एक साथ तीन तलाक़ को ग़ैर-क़ानूनी बता चुका है. 

तलाक़ क्या होता है ?

इस्लाम धर्म में विवाह, जिसे निकाह कहा जाता है- एक पुरूष और एक स्त्री की अपनी आज़ाद मर्ज़ी से एक दूसरें के साथ पति और पत्नी के रूप में रहने का फ़ैसला है.

इसकी तीन शर्ते हैं : पहली- यह कि पुरूष वैवाहिक जीवन की ज़िम्मेदारियों को उठाने की शपथ ले, एक निश्चित रकम जो आपसी बातचीत से तय हो, मेहर के रूप में औरत को दे और इस नये सम्बन्ध की समाज में घोषणा हो जाये.

इसके बिना किसी मर्द और औरत का साथ रहना और यौन सम्बन्ध स्थापित करना गलत, बल्कि एक बड़ा अपराध है.

देश में बढ़ते तलाक़ के मुद्दे जिनकी वजह से मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी खराब हो रही थी, को गौर करते हुए भाजपा सरकार ने बिल तैयार किया

और 28 दिसंबर 2017 को, लोकसभा ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को पारित कर दिया.

अगस्त 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने देश में त्वरित ट्रिपल तलाक़ के सम्बन्ध में आदेश जारी किया कि- किसी भी रूप में तत्काल ट्रिपल तलाक़ (तलाक़-ए-बिदाह)गैरकानूनी है.

उसके तहत- लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप को अवैध और शून्य के रूप में, पति के लिए जेल में तीन साल तक सजा

 

 

 

 

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