1 अप्रैल 2020 से भारत में बीएस VI वाहन ही बेचे जाएंगे: सुप्रीम कोर्ट का फैसला

BY-THE FIRE TEAM

वाहनों द्वारा निरन्तर होने वाले प्रदुषण पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया है. यही वजह है कि गाड़ियों के इंजनो में सुधार करने के अलावे न्यायालय ने बी एस ६ इंजनो के इस्तेमाल पर जोर दिया है.

बीएस VI वाहनों के निर्माण को लेकरसुप्रीम कोर्ट कहा है कि 1 अप्रैल 2020 से भारत में बीएस VI वाहन ही बेचे जाएंगे. कोर्ट ने केंद्र सरकार की तीन महीने की मियाद की अर्जी भी ठुकरा दी है.

दरअसल केंद्र सरकार ने कहा है कि 1 अप्रैल 2020 से भारत भर में बीएस VI ईंधन उपलब्ध होगा.

केंद्र ने आग्रह किया है कि बीएस VI वाहनों के उत्पादन की डेडलाइन 1 अप्रैल 2020 से तीन महीने बढ़ा दी जाए ताकि पुराने वाहनों को बेचा जा सके. हालांकि EPCA ने इसका विरोध किया था.

आपको बता दें कि पिछले दिनों यह खबर भी आई थी कि इमीशन स्टैंडर्ड भारत स्टेज-4 (बीएस-4) के अनुरूप एक अप्रैल, 2020 से पहले निर्मित मोटर वाहनों का 30 जून, 2020 के बाद रजिस्ट्रेशन नहीं होगा.

पुरानी प्रौद्योगिकी वाले वाहनों के उत्सर्जन को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने बीएस-4 मानक वाले वाहनों के पंजीकरण की समय सीमा 30 जून, 2020 तय की थी.

सरकार ने पहले ही भारत मानक-6 के अनुरूप स्वच्छ परिवहन ईंधन अनुपालन पूरे देश में अप्रैल 2020 व दिल्ली में अप्रैल 2018 तक लागू करने के आदेश दिए हैं. इसके लिए केंद्रीय मोटर वाहन (संशोधन) नियम, 2017 के तहत अधिसूचना में सुझाव व अपत्तियां मांगी गई हैं. 

बी एस नॉर्म्स क्या है ?

इसका अर्थ है – भारत स्टैण्डर्ड. बीएस को अपग्रेड करने के बाद गाड़ियों में ईंधन से होने वाला प्रदूषण नियंत्रित किया जाता है. जानकारी के अनुसार विकसित देशों की तुलना में भारत में प्रदुषण की मात्र ज्यादा है.

अगर इस समय भारत की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां की हवा सबसे ज्यादा जहरीली है. यहां सांस लेना यानी तमाम बीमारियों को न्यौता देना है.

बीएस-6 लागू होने के बाद प्रदूषण को लेकर पेट्रोल और डीजल कारों के बीच ज्‍यादा अंतर नहीं रह जाएगा.  इसके प्रयोग से डीजल कारों से 68 फीसदी और पेट्रोल कारों से 25 फीसदी तक नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम हो जाएगा.

यही नहीं डीजल कारों से (पीएम) का उत्सर्जन 80 फीसदी तक कम हो सकता है.

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