BY-THE FIRE TEAM
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 71 वर्षीय, पूर्व कुलपति, जाने माने इतिहासकार पद्मश्री प्रोफ़ेसर मुशीरुल हसन का सोमवार सवेरे निधन हो गया.
मुशीरुल हसन वर्ष 2014 में हरियाणा के मेवात जाते वक़्त एक सड़क हादसे का शिकार हो गए थे जिसके बाद से वो बीमार चल रहे थे.
रविवार रात तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. सवेरे चार बजे उनका देहांत हो गया.
Modern architect of Jamia Mushirul Hasan passes away
Padma Shri – Historian, Author, former VC – JMI, former Director General 'National Archives of India
New Delhi
More:https://t.co/uBGZGASv5O— Mpositiv / www.mpositive.in (@Mpositiv) December 10, 2018
सोमवार शाम उन्हें जामिया विश्वविद्यालय के क़ब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया. इस मौक़े पर पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी समेत विश्वविद्यालय के कई अधिकारी, अध्यापक और कई राजनयिक मौजूद थे.
उनके देहांत पर मौजूदा वर्किंग कुलपति शाहिद अशरफ़ ने कहा, “प्रो. हसन प्रेरणादायक कुलपति थे और उन्होंने जेएमआई के ढांचागत विकास तथा शिक्षा के स्तर को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई.”
इतिहासकार एस इरफ़ान हबीब ने उन्हें आधुनिक भारत के बेहतरीन इतिहासकारों में से एक बताया है. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने उनकी मौत पर दुख प्रकट किया है.
राहुल गांधी ने फ़ेसबुक पर लिखा “उनके जाने से अकादमिक दुनिया में एक तरह का ख़ालीपन आ गया है. वे हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे.”
प्रो. मुशीरुल हसन की मौत को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया ने अपूरणीय क्षति बताया है.
Shocked to know about the sad demise of noted scholar and writer Mushir ul Hasan ji. His contribution to Jamia Milla Islamia will always be remembered
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 10, 2018
प्रो. मुशीरुल हसन को भारत-पाकिस्तान विभाजन, सांप्रदायिकता और दक्षिण एशिया में इस्लाम पर उनके काम के लिए जाना जाता है.
उन्हें जवाहरलाल नेहरू पर लिखी उनकी किताब ‘द नेहेरूज़, पर्सनल हिस्ट्रीज़’ के लिए भी जाना जाता है
इसके अलावा उन्हें आर्किटेक्ट ऑफ़ मॉडर्न जामिया भी कहा जाता है. वो 2004 से 2009 तक जामिया के वीसी थे. इस दौरान उन्हें जामिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर की यूनीवर्सिटी बना दिया.
उन्हें कई नए कोर्सेज़ की शुरुआत की और कई महत्वपूर्ण बिल्डिंग बनवाई. उन्होंने जामिया में इतना काम करवाया कि उन्हें लोग जामिया के ‘शाहजहां’ कहने लगे थे.
इसके अलावा उन्हें अपने विश्वविद्यालय की साख बचाने और छात्रों का साथ देने के लिए भी प्रो मुशीरुल हसन को जाना जाता है.
2008 में दिल्ली के जामियानगर बटला हाउस एनकाउंटर में दो कथित चरमपंथी और एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई थी.
इस घटना के बाद कई संगठनों ने जामिया इलाक़े और जामिया यूनीवर्सिटी को निशाने पर लिया और इसे चरमपंथियों के छिपने का ठिकाना बताया.
मामले की पड़ताल के दौरान कई छात्रों को गिरफ़्तार भी किया गया. उस दौरान मुशीरुल हसन जामिया के कुलपति थे. उन्होंने इसके ख़िलाफ़ और विश्वविद्यालय के छात्रों के समर्थन में अपनी आवाज़ उठाई.
उन्होंने सैंकड़ों छात्रों, जामिया के टीचरों और कर्मचारियों के साथ बाज़ाब्ता सड़क पर मार्च निकाला और कहा कि गिरफ़्तार किए गए छात्रों को क़ानूनी मदद दी जाएगी.
15 अगस्त 1949 को जन्मे प्रो. मुशीरुल ने अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी से एमए की परीक्षा पास की.
उसके बाद केवल 20 साल की उम्र में दिल्ली के रामजस कॉलेज में लेक्चरर के रुप में अपने शिक्षण करियर की शुरूआत की थी.
15 अगस्त 1949 को जन्मे प्रो. मुशीरुल ने अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी से एमए की परीक्षा पास की. उसके बाद केवल 20 साल की उम्र में दिल्ली के रामजस कॉलेज में लेक्चरर के रुप में अपने शिक्षण करियर की शुरूआत की थी.
1972 में वो इंग्लैंड पढ़ाई करने के लिए चले गए. भारत लौटने के बाद केवल 32 साल की उम्र में वो प्रोफ़ेसर बन गए. आज भी भारत में वो सबसे कम उम्र में प्रोफ़ेसर बनने वाले हैं.
साल 1992 में वो जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रो वाइस चांसलर बने और फिर साल 2004 से 2009 तक जामिया के वाइस चांसलर रहे.
प्रो. मुशीरुल हसन नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ़ इंडिया के महानिदेशक, इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के अध्यक्ष और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज़ के उपाध्यक्ष रहे थे.