कश्मीर में धारा 370 और 35A की समाप्ति की आज है पहली वर्षगांठ, आवाम को क्या मिला

कश्मीर में धारा 370 और 35A के समाप्त होने के 1 वर्ष के बाद आखिर जनता को क्या मिला है, जब इस प्रश्न को खंगाला गया तो यहां के आवाम से बातचीत के दौरान बड़ा ही निराशाजनक उत्तर प्राप्त हुआ है.

जी हां, इस संबंध में स्थानीय लोगों का कहना है कि धारा 370 और 35A को समाप्त करके सिर्फ कश्मीरियत की पहचान को मिटाने का काम किया है. इसके द्वारा भाजपा सरकार ने हिंदुस्तान के लोगों में कश्मीर के प्रति नफरत के बीज बोने का षड्यंत्र किया है.

आज 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी कश्मीरी लोगों को कहीं से भी फायदा और ना ही वहां के युवाओं को रोजगार के अवसर मिल पाए हैं, बल्कि इसके विपरीत कश्मीर में लगातार कर्फ्यू और बंदी की वजह से 100 बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है.

अगर आतंकवाद की कमर तोड़ने से लेकर उसके सफाये की बात करें तो वह भी नदारद ही दिखता है. यहां के आवाम को विकास के जो वादे और सपने दिखाए गए थे वह सब धुआं की तरह उड़ चुका है.

बीजेपी के खोखले वादे सिर्फ और सिर्फ उसके एजेंडे को पूरा करने के लिए किए गए थे वास्तविक धरातल पर वह कभी उतर ही नहीं सका है.

1 साल के बाद भी कश्मीर के बहुत सारे क्षेत्रों में शांति बहाल नहीं हो सकी है श्रीनगर, अनंतनाग, कुलगाम जैसे क्षेत्रों में कर्फ्यू का माहौल है जबकि जम्मू और लद्दाख वाले क्षेत्रों में लोग कुछ हद तक समर्थन में दिखाई दिए.

फिर भी जो जनता की बुनियादी जरूरतें हैं जैसे शिक्षा, रोजगार, वर्तमान सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरनेट) की मांग शांति व्यवस्था, आतंकवाद का खात्मा इत्यादि दूर की कौड़ी बनी हुई हैं.

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