कश्मीर के लोग राज्य में कुछ बड़ी घटना की जता रहे हैं आशंका


BY-THE FIRE TEAM


मिली सूचना के अनुसार विगत कुछ दिनों में जिस तरह से लगातार केंद्र सरकार ने फ़ौज को वहाँ स्थान्तरित करना शुरू किया है उसके कारण कश्मीर की सियासत ने अपना रुख बदला है.

फ़ौज की तैनाती पर वहाँ की भूतपूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि- कश्मीर की समस्या राजनीतिक है, ऐसे में उसे किसी अन्य माध्यम से हल करना यथोचित नहीं है.

सेना के बढ़ते लगातार मूवमेंट से वहाँ के आम नागरिकों में दहशत है. दरअसल, केंद्र सरकार ने लोकसभा के पिछले आम चुनाव 2014 में यह वायदा किया था कि

बीजेपी की सरकार बनने पर वह इस राज्य को अनुच्छेद 35 A और धारा 370 को समाप्त कर देगी जिससे इसको मिलने वाला विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो जाएगा.

हालाँकि पिछले कार्यकाल में बीजेपी कर नहीं पायी किन्तु इस बार वह दोनों सदनों में पूर्ण बहुमत प्राप्त पार्टी है. ऐसे में इसे पारित कराना कोई टेढ़ी खीर नहीं लगता है.

कश्मीरी लोग इसे अपनी अस्मिता का प्रतीक मान रहे हैं और यही वजह है कि उन लोगों ने इसका पूरा विरोध किया है. अतः अनहोनी की आशंका होने पर लोगों ने अपनी जरूरत का सामान जुटा लिया है.

क्योंकि कोई नहीं जानता कि आने वाले स्वतंत्रत्रा दिवस पर यानि 15 अगस्त को क्या होगा ? यद्यपि इन आशंकाओं का प्रत्यक्ष जवाब राज्यपाल के पास भी नहीं है. किन्तु राज्यपाल मलिक ने कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है-

इतनी बड़ी मात्रा में सेना को नियुक्त करने की एक वजह इस अफवाह का होना भी है जहाँ ऐसी खबर आई है कि हाफिज सईद अथवा मसूद अजहर के नेतृत्व में

लगभग 40 हजार इस्लामिक घुड़सवार गुरेज क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के पास देखे गए हैं. उनकी मौजूदगी किसी बड़ी साजिश को अंजाम दे सकती है,

किन्तु कोई भी इस बात से इंकार कर सकता है कि घोड़े पर सवार होकर गुरेज गिलगित और बाल्टिस्तान में आना संभव नहीं लगता है.

एक अन्य तर्क इसको ख़ारिज भी करती है क्योंकि यह मध्य युग नहीं है. एक और कारण भारत-पाकिस्तान युद्ध की संभावना भी जताई जा रही है.

हाँ, इतना जरूर है कि इन अनुच्छेदों में बदलाव और छेड़छाड़ किया गया तो भारत और कश्मीर के राजनीतिक संबंध बदल जायेंगे.

 

 

 

 

 

 

 

 

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