BY-THE FIRE TEAM
सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश रंजन गगोई का कार्यकाल 17 नवम्बर को समाप्त होने वाला है किन्तु उनके द्वारा देश में कुछ ऐसे निर्णय दिए जाने शेष हैं,
जिनसे बड़े बदलाव महसूस किये जायेंगे. इन फैसलों में जो सबसे खास है वह अयोध्या में रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद है, जिसकी सुनवाई अब लम्बी बहस के बाद पूरी हो चुकी है.
इस मामले को लेकर ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इस केस से जुड़े पाँच जजों की बेंच जो प्रधान न्यायाधीश रंजन गगोई के नेतृत्व में निर्णय देगी. इस मुकदमे को लेकर भारत सरकार के
पूर्व सोलीसिटर जनरल तथा सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन प्रसारण ने बताया है कि-“चुँकि अयोध्या मामला बहुत ही संवेदनशील है ऐसे में इस पर निर्णय आने के बाद भी बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है.”
आपको बताते चलें कि रामजन्म भूमि के अतिरिक्त जो विषय निर्णयाधीन हैं उसमें रॉफेल डील, सबरी माला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश और सीजेआई कार्यालय को आरटीआई के
दायरे के अंदर लाने के लिए डाली गई याचिका शामिल है. इस संबंध में प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने आरटीआई में पारदर्शिता लाने के लिए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में
नियुक्ति और स्थानान्तरण को लेकर कोई जानकारी साझा नहीं की जाती है, ऐसे में इसकी पारदर्शिता संदेहास्पद लगती है. अतः न्यायालय किन आधारों पर अपनी प्रक्रिया को पुष्ट करता है
इसका खुलासा होना चाहिए. ऐसा तभी संभव है जब इसे आरटीआई के दायरे में लाया जाये.