कोरोना संक्रमण को देखते हुए जब से देश में महामारी फैली है तभी से हमारे व्यवहार और कार्यप्रणाली में काफी बदलाव आ चुका है.
यह परिवर्तन निजी से लेकर सरकारी कार्यालयों में बखूबी देखने को मिल रहा है. आपको बता दें कि एक बहुत ही सोचनीय मामला सर्वोच्च न्यायालय में वर्चुअल सुनवाई के दौरान देखने को मिला.
दरअसल वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान एक वकील गुटखा चबाते हुए नजर आए इसको देखते हुए सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने उस अधिवक्ता को आड़े हाथों लेते हुए पूछ बैठे.
जब वकील महोदय को अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह क्षमा मांग कर बचते हुए निकल गए. इस तरह की घटनाएं न्यायालयों में कई जगह देखने को मिल चुकी हैं.
राजस्थान संकट की सुनवाई के दौरान एक वरिष्ठ अधिवक्ता हुक्का पीते नजर आए थे जबकि वह वीडियो कांफ्रेंसिंग में शामिल थे.
हां, यह अलग बात है कि उस जज ने या तो ध्यान नहीं दिया या देखा नहीं. एक और मसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई के दौरान देखने को मिला.
एक वकील बार-बार ‘योर ऑनर’ कह कर संबोधित कर रहे थे जिस पर संज्ञान लेते हुए न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि यह अमेरिकी अदालत नहीं है इसलिए आप योर ऑनर ना कहें.
सोचने का पहलू यह है कि इतनी जिम्मेदार भरे पद पर रहते हुए भी यह लोग अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं समझते हैं. अपने इन गैर जिम्मेदाराना रवैया से यह लोग क्या सिद्ध करना चाहते हैं?