BY-THE FIRE TEAM
प्राप्त सूचना के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि- इन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को उसकी क्षमता के अनुरूप नहीं उठाया है.
इससे देश में रोजगार पैदा होने के बजाय रोजगार के नुकसान वाली वृद्धि की स्थिति बन गई है. साथ ही ग्रामीण ऋणग्रस्तता और शहरी अव्यवस्था के चलते आकांक्षी युवाओं में असंतोष पैदा हो रहा है.
Modi failed to uplift economy, youth restless, says Dr. Manmohan Singh.
“Knee-jerk reactions and off-the-cuff announcements of grandiose schemes and unproductive projects have manifestly failed to uplift the economy to its potential."#BJP_भगाओ_देश_बचाओ https://t.co/uDs9qCioh3— Congress Sevadal (@CongressSevadal) February 18, 2019
सिंह ने दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र का बढ़ता संकट, रोजगार के कम होते अवसर,
पर्यावरण में आती गिरावट और इससे भी ऊपर विभाजनकारी ताकतों के कार्यरत रहने से राष्ट्र के समक्ष चुनौतियां खड़ी हो रही हैं.” वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि-
किसानों द्वारा आत्महत्या किया जाना और बार – बार होने वाले किसानों के आंदोलन से हमारी अर्थव्यवस्था में व्याप्त ढांचागत असंतुलन के बारे में पता चलता है.
इस समस्या के निराकरण के लिये गंभीरता के साथ विश्लेषण करने और राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि-
"In his convocation address at the Delhi School of Management, he said the “grave agrarian crisis, the declining employment opportunities, the pervasive environmental degradation, and above all the divisive forces at work” were some of the challenges… https://t.co/Sag1tpxyoy
— Manuel Gonzalo (@manolo_gonzalo) February 17, 2019
अब तक जो रोजगारविहीन वृद्धि थी (अर्थात् रोजगार पैदा नहीं करने वाली), वह अब और बिगड़कर रोजगार को नुकसान पहुंचाने वाली वृद्धि बन गई है अर्थात् रोजगार जाने वाली.
औद्योगिक वृद्धि दर उतनी तेजी से नहीं बढ़ पा रही है जितनी जरूरत के मुताबिक बढ़नी चाहिये. पूर्व प्रधानमंत्री ने सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुये कहा कि-
संपत्ति और रोजगार के अवसरों में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाने वाले लघु एवं असंगठित क्षेत्र को विनाशकारी नोटबंदी और माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के लापरवाही भरे तरीके से किये गये क्रियान्वयन से भारी नुकसान हुआ.
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि रोजगारोन्मुख उद्योग के संवर्धन के प्रयासों में जो सबसे बड़ी चिंता की बात है वह उद्योगों को जिस कौशल की जरूरत है,
उसके और स्नातक की पढ़ाई कर निकलने वाले छात्रों के पास जो कौशल है उसके बीच रहने वाला अंतर है.