BY-THE FIRE TEAM
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में कैबिनेट मीटिंग में यह निर्णय लिया है कि महाराष्ट्र चीफ मिनिस्टर का आफिस अब लोकायुक्त के अधिकार के दायरे में आ जाएगा।
वाटर रिसोर्सेज मिनिस्टर गिरीश महाजन ने प्रेस को बताया कि इस फैसले के बाद सीएम के अलावा अन्य मिनिस्टर्स और विधानसभा में अपोजिशन लीडर भी लोकायुक्त के दायरे में आ जाएंगे।
इस फैसले के चलते शिकायत या मामला, भ्रष्टाचार से जुड़ा होने पर, आरोप लगने पर लोकायुक्त किसी भी मामले की जांच कर सकता है या करवा सकता है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र पहला ऐसा स्टेट था जहां 1971 में लोकायुक्त और उप लोकायुक्त कानून के जरिए लोकायुक्त संस्था की शुरुआत हुई।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि महाराष्ट्र गवर्मेंट का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब जाने-माने समाजसेवी अन्ना हजारे ने आज, 30 जनवरी से मोदी सरकार के खिलाफ अनशन करने का फैसला किया है।
अन्ना का कहना है कि उनका यह कदम किसी एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि मोदी सरकार के खिलाफ है जिसने केंद्र में लोकपाल बिल और लोकायुक्त के बाबत भरोसा दिलाया था।
लेकिन 4 साल से अधिक हो गए सत्ता में आए फिर भी उनकी इस मांग को अनदेखा किया जाता है रहा है इसलिए अब आंदोलन के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।
उन्होंने कहा कि यदि यह बिल पारित हो गया होता तो रफाल जैसे मामले कभी नहीं होते।