BY-THE FIRE TEAM
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने उर्जित पटेल के इस्तीफे पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि ‘‘हर भारतीय” को इससे चिंतित होना चाहिए क्योंकि आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए संस्थानों की मजबूती जरूरी है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने तुरंत प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सरकार के साथ कई मुद्दों को लेकर उनके मतभेद बने हुए थे
और सरकार की ओर से अभूतपूर्व कदम उठाए जाने (धारा सात के तहत निर्देश) की आशंका बनी हुई थी. राजन ने एक समाचार चैनल से कहा,
‘‘मेरा मानना है कि डॉ पटेल ने अपना वक्तव्य दे दिया है और मैं समझता हूं कि कोई नियामक अथवा जन सेवक यही अंतिम वक्तव्य दे सकता है.
मेरा मानना है कि वक्तव्य का सम्मान होना चाहिए.” उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसके विस्तार में जाना चाहिए, कि यह गतिरोध क्यों बना. कौन सी वजह रही जिससे यह कदम उठाना पड़ा.”
Urjit Patel’s resignation proves a terrible shortcoming of Modi Regime; it simply does not practise the art of democratic compromise and consensus building.
Aijaz Ilmi, a promising young spokesman, and RLSP, a key political ally, also quit today. Not a healthy portent. https://t.co/L620MLwVgx— Raghav Bahl (@Raghav_Bahl) December 10, 2018
रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से सितंबर 2016 में सेवामुक्त हुए राजन ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि यह ऐसी बात है जिसे सभी भारतीयों को समझना चाहिए क्योंकि
हमारी सतत वृद्धि और अर्थव्यवस्था के साथ न्याय के लिए हमारे संस्थानों की मजबूती वास्तव में काफी महत्वपूर्ण है.”
रिजर्व बैंक की शक्तियों के बारे में राजन ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के संचालन के मामले में रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की प्रकृति में ‘‘बड़ा बदलाव” आया है.
निदेशक मंडल एक परिचालन वाला बोर्ड बना, परिचालन संबंधी निर्णय के लिए है.” रिजर्व बैंक के गवर्नर रहते हुए रघुराम राजन के भी सरकार के साथ मतभेद थे यही वजह रही कि-
उन्होंने पहला कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें दूसरा कार्यकाल नहीं दिया गया. राजन ने कहा कि पहले रिजर्व बैंक का निदेशक मंडल सलाहकार की भूमिका निभाता था जिस पर केन्द्रीय बैंक के पेशेवर फैसला लेते थे.
राजन का संकेत संभवत: आरबीआई निदेशक मंडल में आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति और सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ एसके मराठे की हाल में नियुक्ति की ओर था.