BY-THE FIRE TEAM
कहते हैं राजनीती में कोई स्थाई दोस्ती और न ही स्थाई दुश्मनी होती है, कब कौन सा दल किसके साथ गलबहियां डाले घूमने लगे, इसकी भविष्य वाणी नहीं की जा सकती है।
आपको बिहार का उदाहरण याद होगा क्योंकि जिन दलों ने बीजेपी के विरुद्ध महागठबंधन किया था, उसी में से एक यानि नितीश ने अंततः बीजेपी को समर्थन देकर सरकार बना डाली।
वर्तमान में ताजा उदाहरण तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव का लिया जा सकता है जहाँ भारतीय जनता पार्टी ने केसीआर को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर दिखाना शुरू कर दिया है।
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चुनाव से पहले टीआरएस पर आरोप लगाने वाली बीजेपी अब साथ मे आना चाहती है। कल तक बीजेपी टीआरएस को फैमिली पार्टी बताने वाली बीजेपी के सुर वोटिंग के बाद बदल गए हैं।
बीजेपी ने कहा है कि अगर 11 दिसंबर को काउंटिंग के बाद तेलंगाना में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी तो वह सरकार बनाने के लिए टीआरएस का साथ देगी।
हालांकि वोटिंग के बाद 24 घंटे से भी कम समय में इस बदले स्टैंड के लिए बीजेपी ने एक शर्त भी रखी है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के लक्ष्मण ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया है कि-
अगर तेलंगाना में त्रिशंकु विधानसभा बनी तो उनकी पार्टी सरकार बनाने के लिए टीआरएस का साथ देगी। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ऐसी सरकार को समर्थन करना चाहती है जिसमें कांग्रेस और एआईएमआईएम न हो।
हालांकि टीआरएस और ओवैसी की एआईएमआईएम आधिकारिक रूप से एक साथ नहीं हैं, लेकिन दोनों ही चुनाव से पहले सार्वजनिक तौर पर आपसी दोस्ती की बात स्वीकार कर चुकी हैं।
ओवैसी ने मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में टीआरएस के कैंडिडेट्स के लिए प्रचार भी किया है। शुक्रवार को वोटिंग के बाद सामने आए 3 एग्जिट पोल्स में से 2 तेलंगाना में टीआरएस को बहुमत आने का दावा कर रहे हैं।
वहीं तीसरे एग्जिट पोल में टीआरएस के लिए 48 से 60 सीटों की उम्मीद जताई गई है। बता दें कि तेलंगाना विधानसभा में सदस्यों की संख्या 119 है।