BY-RAVISH KUMAR
2014 के घोषणापत्र में बीजेपी ने नई शिक्षा नीति का वादा किया था. इंटरनेट पर सर्च कीजिए, वो नई शिक्षा नीति कहां है, अता-पता नहीं चलेगा.
हमने अख़बारों में छपे इस संदर्भ में उनके बयानों का विश्लेषण किया है और साथ ही उनके ट्विटर हैंडल के ट्वीटस और री-ट्वीट्स किया जिससे हम देख सकें कि प्रकाश जावड़ेकर देश की शिक्षा को लेकर कितने ट्वीट करते हैं और बीजेपी को लेकर कितने.
जावड़ेकर के ट्वीट्स बताते हैं कि उनके पास अपने मंत्रालय के बारे में बताने के लिए बहुत कम है. वे बीजेपी के निरंतर प्रचार मंत्री के रूप में ज़्यादा काम करते हैं.
पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी जिसने मई 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी. इस कमेटी के कई सुझावों में यह भी था कि प्राथमिक शिक्षा अंग्रेज़ी में हो.
मीडिया रिपोर्ट में ज़िक्र मिलता है कि कमेटी के सुझावों को लेकर स्मृति ईरानी असहज हो गईं और कभी लागू नहीं किया.
जून 2017 में डॉ. के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक नई कमेटी बनती है. 8 अप्रैल को हिन्दुस्तान टाइम्स की नीलम पांडे ने लिखा है कि कस्तूरीरंगन कमेटी को दिसंबर 2017 तक अपनी रिपोर्ट दे देनी थी. मगर पहले उसे मार्च 2018 तक विस्तार मिला और फिर जून 2018 तक के लिए.
जून 2018 में प्रकाश जावड़ेकर कई बयान इंटरनेट पर मिलते हैं कि साल के अंत तक नई शिक्षा नीति लागू हो जाएगी. आज 11 नवंबर है, राष्ट्रीय शिक्षा दिवस,
अपने पूरे कार्यकाल में मोदी सरकार नई शिक्षा नीति पेश नहीं कर पाई. इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस के नाम पर जियो संस्थान को कैसे मंज़ूरी दी गई यह अब सब जानते हैं.
27 सितंबर को इंडिया टुडे की वेबसाइट पर मंत्री जी का बयान है कि नई शिक्षा नीति तैयार है. तैयार है तो आज वो कहां है? 29 अप्रैल को डेक्कन क्रोनिकल,
NEWS18 की वेबसाइट पर छपी ख़बर में प्रकाश जावड़ेकर का बयान है कि एक महीने में नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार हो जाएगा और तीन महीने के भीतर नई शिक्षा नीति हम सबके लिए उपलब्ध होगी. जून से तीन महीना हुआ सितंबर, क्या सितंबर तक नई शिक्षा नीति आ गई? नवंबर में आ गई?
11 सितंबर 2018 का एक वीडियो है. इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया फॉर एक्सचेंज में प्रकाश झावड़ेकर बोल रहे हैं कि एक महीने में नई शिक्षा नीति आ जाएगी और अक्तूबर महीने में वे एक या दो दिन का विशेष सम्मेलन करेंगे जिसमें जो सांसद शिक्षा पर बात करना चाहते हैं, सुझाव देना चाहते हैं, उन्हें मौका मिलेगा. क्या अक्तूबर में ऐसा कोई सम्मेलन हुआ था?
अप्रैल महीने में उज्जैन में गुरुकुल सम्मेलन हुआ था. इस सम्मेलन में बोलते हुए शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि भारत के हर बच्चे को पांच साल के लिए गुरुकुल भेजना चाहिए.
गुरुकुल की शिक्षा की बच्चों का विकास कर सकती है. देशभक्त बना सकती है. मानसिक अनुशासन दे सकती है.
शिक्षा मंत्री बताए कि उन्होंने कितने गुरुकुल बनाए हैं, प्राइवेट स्कूलों को बंद करेंगे या उन्हें गुरुकुल में बदल देंगे? यह भी बताएं कि गुरुकुल के लिए ऋषिमुनी कहां से लाएंगे?
जो भी है, अगर शिक्षा मंत्री को गुरुकुल ही ठीक लगता है तो फिर उसी के लिए उन्होंने क्या प्रयास किए हैं? मार्च 2017 को लोकसभा में बयान दिया था, उसी का अता-पता नहीं है.
उन्होंने कहा था कि एक साल के भीतर दिल्ली विश्वविद्यालय में 9000 पदों पर परमानेंट बहाली हो जाएगी. क्या हुई? देश के बाकी विश्वविद्यालयों की भी जानकारी दे दें तो बेहतर होगा.
अदालत का बहाना बनाया जाता है मगर अदालत से कितनी बार कहने गए कि जल्दी सुनवाई करें, देश के नौजवानों की उम्र बीत रही है और वे बर्बाद हो रहे हैं.
इस देश के नौजवानों की पोलिटिकल क्वालिटी थर्ड क्लास नहीं होती तो वे अपने साथ हो रहे इस तरह के धोखे को बर्दाश्त नहीं करते. पर ख़ैर अभी उन्हें हिन्दू मुस्लिम डिबेट चाहिए.
एक तरह से आप देखेंगे कि इस सरकार के मंत्री जनता से संवाद करते हैं. बात करते हैं. मगर ध्यान से देखिए कि क्या वे अपने मंत्रालय के काम को लेकर बात करते हैं, जनता जो उनसे कहना चाहती है,
क्या उस पर कुछ कहते हैं तो जवाब ना में मिलगा. जनता की शिकायतों का अंबार लगा है मगर मंत्री जी बिल्कुल नोटिस नहीं लेते हैं.
और हां, शिक्षा मंत्री हैं, उनके चुनावी ट्वीट में एक भी स्कूल या एक भी सरकारी कालेज के दौरे की न तो जानकारी है और न ही तस्वीर हैं.
डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति THE FIRE उत्तरदायी नहीं है.