BY-THE FIRE TEAM
विगत कई वर्षों से होने वाले लगातार ट्रेन हादसों के कारणो को जानने तथा भविष्य में इसकी निगरानी करने के लिए रेलवे ने अब नई प्रणाली विकसित करने का फैसला किया है.
रेलवे के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि देश में अब ट्रेनों में भी हवाई जहाज की तरह ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल होगा. इससे जांचकर्ताओं के लिए दुर्घटनाओं का पता लगाना और चालक दल के कार्यों का आकलन करना सुगम हो जायेगा.
इसके लिए जल्द ही ट्रेनों में वॉइस रिकॉर्डर या ब्लैक बॉक्स लगाया जायेगा.अतः रेलयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेल ने लोको कैब वॉइस रिकॉर्डिंग (एलसीवीआर) डिवाइस इंजन में लगाने का फैसला किया है.
एक अधिकारी ने कहा कि अभी यह सिस्टम विकास के क्रम में है. इंजन में लगे वीडियो/वॉइस रिकॉर्ड सिस्टम से जांचकर्ताओं को महत्वपूर्ण आंकड़े प्राप्त होंगे, जोकि उनको हादसे के कारणों के लिए जिम्मेदार घटनाओं के तार जोड़ने में मदद करेंगे.
साथ ही, इससे संचालन संबंधी समस्याओं और चालक दलों के निष्पादन समेत मानवीय कारकों के बारे में भी जानने में मदद मिलेगी.
आपको बता दें कि फिलहाल, ब्लैकबॉक्स का इस्तेमाल वायुयान में ही होता है. इसमें दो अलग-अलग उपकरण होते हैं. एक में उड़ान के आंकड़ों की रिकॉर्डिग होती है और दूसरे में कॉकपिट की ध्वनि.
यह हवाई जहाज के पिछले हिस्से में होता है, जहां वे किसी दुर्घटना की स्थिति में सुरक्षित बचे रहते हैं तथा इसकी मदद से दुर्घटना की वजहों का पता लगाते हैं.
क्या होता है ब्लैक बॉक्स ?
हवाई जहाज का ‘ब्लैक बॉक्स’ या फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर, वायुयान में उड़ान के दौरान विमान से जुडी सभी तरह की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने वाला उपकरण होता है.
आम तौर पर इस बॉक्स को सुरक्षा की दृष्टि से विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है. यह बॉक्स बहुत ही मजबूत मानी जाने वाली धातु टाइटेनियम का बना होता है और टाइटेनियम के ही बने डिब्बे में बंद होता है ताकि ऊँचाई से जमीन पर गिरने या समुद्री पानी में गिरने की स्थिति में भी इसको कम से कम नुकसान हो.
ब्लैक बॉक्स’ के दो अलग–अलग बॉक्स होते हैं-
1. फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर: इसमें विमान की दिशा, ऊँचाई (altitude) , ईंधन, गति (speed), हलचल (turbulence), केबिन का तापमान इत्यादि सहित 88 प्रकार के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी एकत्रित रखता है.
यह बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर सकता है जबकि 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन करने की क्षमता रखता है | इस दोनों बक्सों का रंग काला नही बल्कि लाल या गुलाबी होता है जिससे कि इसको खोजने में आसानी हो सके.
Image source:Science – How Stuff Works
2. कॉकपिट वोइस रिकॉर्डर: यह बॉक्स विमान में अंतिम 2 घंटों के दौरान विमान की आवाज को रिकॉर्ड करता है. यह इंजन की आवाज, आपातकालीन अलार्म की आवाज , केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करता है; ताकि यह पता चल सके कि हादसे के पहले विमान का माहौल किस तरह का था.
जाहिर है इस तरह की तकनीक रेलवे को और बेहतर बनाएगी.