दीपक गुप्ता सेवानिवृत न्यायाधीश S.C: अमीरों की मुठ्ठी में कैद है कानून और न्याय वयवस्था

BY-THE FIRE TEAM

  • देश की सर्वोच्च न्यायापालिका का पैरोकार ही जब इस तरह का पीड़ादायक वक्तव्य देने लगे तो न्याय के मंदिर में बैठा इस देवता की मज़बूरी और विवशता को संजीदगी के साथ महसूस किया जा सकता है

मिली जानकारी के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने न्याय वयवस्था और कानून को लेकर अपने विदाई समारोह के दौरान बहुत ही चौंकाने वाला बयान दिया है.

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति जो अमिर और शक्तिशाली है वह सलाखों के पीछे है तो वह मामले की पेंडेंसी के दौरान बार-बार

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अपील करता है कि उसकी सजा को आगे बढ़ाया जाये जब तक कोर्ट से यह आदेश नहीं मिल जाये कि मामले की त्वरित कार्यवाही किया जाये.

गरीबों से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए न्यायपालिका को तेजी दिखानी चाहिए क्योंकि इनके पास न तो पहुँच होती है और न ही पैसे.

 

वहीं जब जस्टिस गुप्ता से न्यायपालिका के संबंध में सुधार के विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि- नियुक्तियों में हो रही देरी को दूर करके लंबित मामलो का तेजी के साथ निपटारा किया जाये तथा न्यायपालिका में पारदर्शिता को बढ़ाने की जरूरत है ताकि इसकी स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया जा सके.

इसके अलावे उन्होंने अपने सेवानिवृति के बाद सरकार के तरफ से किसी पद को स्वीकार करने से भी इंकार करने की बात स्वीकारी है. आपको बताते चलें कि रंजन गगोई जब अपने पद से हटे थे तो

उन्होंने राज्य सभा की सदस्यता ले ली हालाँकि उनके इस कृत्य की काफी आलोचना की गई और उन पर सरकार का दलाल जैसे आरोप भी लगाए गए थे.

जस्टिस गुप्ता के द्वारा दिए गए कुछ अहम निर्णय?

नाबालिग पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना शारीरिक संबंध बनाना अपराध माना जायेगा,

बाल अपराध, विधवाओं की स्थिति में सुधार आदि ऐसे मामले रहे हैं हैं जिनके संबंध में उनके फैसले सदैव याद रखे जायेंगे.

 

 

 

 

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