पत्नियों द्वारा गुजारा भत्ता माँगने के साथ ही पति कहते हैं हम कंगाल हो गए हैं: SC


BY-THE FIRE TEAM


गुजारे भत्ते के सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब अलग रह रही पत्नियां गुजारा भत्ते की मांग करती हैं तो पति कहने लगते हैं कि वे आर्थिक तंगी में जी रहे हैं या कंगाल हो गए हैं.

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी एक प्रतिष्ठित अस्पताल में काम करने वाले हैदराबाद के एक डॉक्टर को यह नसीहत देते हुए की कि वह सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं छोड़ दे क्योंकि उसकी पत्नी गुजारा भत्ता मांग रही है.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से पारित उस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया,

जिसमें डॉक्टर को निर्देश दिया गया था कि वह अलग रह रही अपनी पत्नी को गुजारे के लिए अंतरिम तौर पर 15,000 रुपए प्रतिमाह दे.

पीठ ने कहा, ‘‘हमें बताएं कि आज के वक्त में क्या किसी बच्चे का पालन-पोषण महज 15,000 रुपए में करना संभव है ? इन दिनों, जैसे ही पत्नियां गुजारा भत्ते

की मांग करती हैं तो पति कहने लगते हैं कि वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं या कंगाल हो गए हैं. आप इसलिए नौकरी नहीं छोड़ दें क्योंकि आपकी पत्नी गुजारा भत्ते की मांग कर रही हैं.”

याचिकाकर्ता पति के वकील ने कहा कि अंतरिम सहायता के तौर पर तय की गई राशि बहुत ज्यादा है और उच्चतम न्यायालय को उच्च न्यायालय का आदेश दरकिनार कर देना चाहिए.

इस पर पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता एक प्रतिष्ठित अस्पताल में डॉक्टर है और वैसे भी यह अंतरिम आदेश है जिसमें दखल की जरूरत नहीं है. शीर्ष अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया.

 

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