BY-THE FIRE TEAM
मिली जानकारी के मुताबिक लम्बे दिनों से शिवपाल यादव तथा उनके भतीजे अखिलेश यादव के बीच राजनीतिक तौर पर चल रही रार के थमने के आसार नजर आने लगे हैं.
आपको यहाँ बता दें कि इनके मध्य पारिवारिक विवाद इतना बढ़ गया था कि अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपना स्वतंत्र राजनीतिक दल समाजवादी मोर्चे के रूप में स्थापित कर लिया और कुछ समय बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) लोहिया के रूप में तब्दील कर दिया.
अतः सपा नेता रामगोविन्द चौधरी ने 4 सितम्बर,2019 में दल परिवर्तन के आधार पर शिवपाल की विधानसभा सदस्य्ता को समाप्त करने के लिए याचिका दायर कर दिया और दलबदल कानून के तहत कार्यवाही करने की भी माँग किया
किन्तु वर्तमान बदली हुई परिस्थितियों में खुद सपा ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से आग्रह किया है कि शिवपाल यादव की सदस्यता को समाप्त करने के लिए दी गई याचिका को वापस कर दिया जाये इससे अब उनकी सदस्यता जाने का खतरा अब टल चुका है.
इस राजनीतिक सिफारिश, शिवपाल का मेदांता अस्पताल में भर्ती हुए मुलायम यादव को देखने जाना और कोरोना वायरस महामारी के दौर में भी अखिलेश तथा शिवपाल की मुलाकातों को देखकर राजनीतिक गलियारे में ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि दोनों परिवारों के मध्य नजदीकियाँ बढ़ रही हैं.
वस्तुस्थिति यह है कि अखिलेश यादव के समक्ष सपा को वयवस्थित करने की चुनौती है क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारना, एक-एक करके समाजवादी पार्टी के नेताओं का टूटकर भाजपा में जाना तथा बसपा से गठबंधन के बिखराव होना आदि ऐसे कारक सामने हैं.