वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी का यह बयान वाकई ध्यान खींचता है क्योंकि आज देश में जिस कदर से राजनीतिक उथल पुथल मची हुई है उसको देख कर ऐसा लगता है कि दुनिया में भारत की पहचान विश्व गुरु के रुप रही किन्तु आज का भारत कई तरह की आंतरिक समस्याओं जैसे आतंकवाद ,नक्सलवाद, पृथक्करण की राजनीति ,उग्रवाद ,नस्लीय हिंसा ,जातीय उपेक्षा तथा अन्य विभन्न प्रकार की समस्याओं से ग्रसित हो चुका है. वह कौन सी ताकते हैं जो भारत को अंदर ही अंदर तोड़ने का षड्यंत्र कर रही हैं ?
हमने आजादी के बाद लोकतंत्र जैसी मजबूत शासन प्रणाली को अपनाया जिसमें बिना किसी भेदभाव तथा असमानता के देश में रहने वाले विभिन्न जाति ,धर्म ,लिंग को चुनाव में हिस्सेदार बनाने के लिए चुनाव लड़ने का अधिकार दिया साथ ही इस निर्वाचन प्रणाली मे चक्रीय पद्धति को अपनाकर सभी वर्गों को जो मौका दिया उससे संविधान निर्माताओं के बौद्धिक कुशलता का पता चलता है.
लेकिन आज समाज के हाशिए पर रहने वाला वर्ग अनुसूचित जाति ,जनजाति ,अन्य पिछड़ा वर्ग ,महिलाओं एवं ऐसे ही कई अन्य की सूची हमारे पास मौजूद है जो गाहे-बगाहे आर्थिक और जातीय श्रेष्ठता का दम भरनेवाली जातियां इनको सताने यहां तक की जलाकर मार डालने से भी परहेज नहीं करते क्या यही न्याय है ?
भारत के उत्तरी राज्य कश्मीर में जिस तरह की अलगाववादी प्रवृतियां घर कर रही हैं जिसके हमारे सेना और पुलिस के जवान पत्तथरों से हमले का शिकार होकर और आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो रहे हैं. आप मुठभेड़ का सबसे ज्यादा खामियाजा आम निर्दोष जनता पर पड़ती है जो अनावश्यक हड़तालों , स्कूलों ,कालेजों कोचिंग सेंटरों का बंद होना ,दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली दुकानों का लंबे समय तक बंद होना साथ ही दुनिया के नक्शे में जन्नत का दर्जा प्राप्त कश्मीर को देखने के लिए आने वाले सैलानियों पर रोक लगना जो अंततः कश्मीर एवं देश दे आर्थिक ढांचे को बढ़ने में बाधक साबित होती है ़
ठीक इसी प्रकार की समस्या पूर्वोत्तर राज्य भी झेल रहे हैं एक तरफ हमारे पड़ोसी देश मयनमार, चीन, हमारे साथ कूटनीतिक संबंध बनाने को आतुर रहते हैं वही कभी स्वायत्तता तो संप्रभुता का हवाला देकर हमारी आंतरिक भौगोलिक सीमाओं में प्रवेश कर जाते हैं .बांग्लादेश से होने वाले रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन भारत की ओर हो अथवा तिब्बत से बौद्ध शरणार्थियों का सुरक्षा पाने की आस लेकर भारत में घुसना .इसके अतिरिक्त अभी असम ने जो 400000 अवैध लोगों की लिस्ट जारी की है वह दबे शब्दों में कई तरह की समस्याओं को दर्शाती हैं आखिर यह घुसपैठ 1 दिन में तो संभव नहीं है फिर भाजपा की विगत सरकारें क्या करती रहीं और हमारी आंतरिक सुरक्षा एजेंसियां किस तरह से निगरानी किया कि इस तरह की जनसंख्या विस्फोट की समस्या मुखरित हुई हैं .
नक्सलवाद जैसी भीषण और दिल दहला देने वाली उनकी गतिविधियां प्रत्यक्ष रुप से इशारा कर रही हैं कि देश के अंदर ही अंदर अनेक चुनोतियों ने घर कर लिया हमें यहां कभी नहीं भूलना चाहिए कि शोषण, जुल्म तथा भुखमरी, बेकारी के कारण लोगों का पलायन एक जगह से दूसरी जगह होता है.
इसके अलावा हमारे दुश्मन देश भी हमें कई तरह से परेशान करने का कोई कसर नहीं छोड़ते. भारत एक विविधता वादी देश है और इसकी एकता अखंड बने रहने में ही असल पहचान है .उन सांप्रदायिक ताकतों को अपनी सोच तथा पृथकतावादी मानसिकता को बदलना होगा अन्यथा 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों से बने भारत को बिखरने में देर नहीं लगेगी.
सईद आलम खान —स्वतंत्र लेखक एवं विचारक