BY-THE FIRE TEAM
“मैं समाज को क्या दे सकता हूँ ?” कई लोग बोलते हैं कि मेरे पास कुछ है ही नहीं तो फिर मैं समाज को क्या दे सकता हूँ?
यदि हम लोग इतिहास पर नजर डालते हैं तो मालूम होता है कि आज तक समाज को जो कुछ भी मिला है वो ऐसे महापुरुषों से ही मिला है जिनके पास देने के लिए कुछ भी नहीं था.
उदाहरण के लिए सबसे पहले तथागत बुद्ध को लेते हैं कि जिन्होंने राजकुमार का पद छोड़ने के बाद महल, धन दौलत और सभी प्रकार की चल-अचल संपत्ति का त्याग कर दिया,
एवं उनके पास समाज को देने के लिए कुछ भी नहीं रहा था लेकिन उसके बावजूद उन्होंने पूरी मानवता को वो सब कुछ दिया जो कि बड़े से बड़े राजा महाराजा नहीं दे सकते हैं.
अगला उदाहरण क्रांति के अग्रदूत ज्योतिराव फुले का लेते हैं, उनको भी उनके पिता ने चल-अचल संपत्ति से बेदखल करने के बाद मनुवादी व्यवस्था
के चलते सामाजिक दवाब से मजबूर होकर उन्हें घर से निकाल दिया था और ज्योतिराव फुले के पास फूटी कौड़ी तक नहीं बची थी.
लेकिन उसके बाउजूद भी उन्होंने समाज को वो क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया कि समाज उनको सच्चा राष्ट्रपिता मानता है.
अगला उदहारण बौधिसत्व, बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर का एक लेते हैं, उनके पास भी समाज को देने के लिए कुछ भी नहीं था,
वे तो भोजन भी एक टाईम मुश्किल से खा पाते थे, दवाई के अभाव में उनके चार बच्चे मौत के आगोश में चले गए थे लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने समाज को इतना कुछ दिया कि पूरी दुनिया में आज तक कोई भी नहीं दे सका.
अगला नाम कांशीराम जी साहब का आता है, वे जब तक एक बड़े अधिकारी थे तब तक समाज को कुछ नहीं दे पाये, लेकिन जब नोकरी व घर बार छोड़कर बिलकुल खाली हो गए,
उसके बाद उन्होंने बहुजन समाज को सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति का राजनीतिक चेतना दिया उसे हम सब जानते हैं.
इसके अलावा हमारे तमाम संत, गुरुओं व महापुरूषों का जीवन बहुत ही गरीबी में होने के बाद भी उन्होंने समाज को वो सब कुछ दिया कि जिसको हम सब कभी भी भूला नहीं सकते हैं,
ऋण चुका नहीं सकते हैं, ये बात कभी भी मत कहो कि मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है. इसलिये मैं समाज को क्या दे सकता हूँ……….