सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता करने वाली तीन जजों की पीठ जिसमें ए एस बोपन्ना और सुभाष रेड्डी भी मौजूद थे, ने कोरोना महामारी को देखते हुए न्यायालयों के आदेश को
हार्ड कॉपी जैसे-सफेद पन्ने की जगह सॉफ्ट कॉपी जैसे-ईमेल, फैक्स और व्हाट्सएप सहित अन्य डिजिटल माध्यमों से भेजे गए सभी सूचनाओं को स्वीकार किये जाने को क़ानूनी घोषित कर दिया है.
मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण की गति को देखते हुए देश में वे सभी तरह के एहतियात बरते जा रहे हैं ताकि लोगों को कोरोना के प्रकोप से बचाया जा सके. इसी सन्दर्भ को देखकर सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का आदेश जारी किया है.
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यहाँ आपको बता दें कि न्यायिक प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्वागत योग्य है और वह लगातार इसमें नए-नए बदलाव लाते जा रहा है.
जैसे- विगत दिनों में सुप्रीम कोर्ट वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा मुकदमों की सुनवाई कर रहा है उसका यह प्रयास इसी डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ता हुआ कदम है.
यद्यपि इसकी प्रक्रिया मार्च, अप्रैल के महीने से ही चल रही है, वेणु गोपाल ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई थी कि व्हाट्स एप की अपनी जवाबदेही होती है जिसमें वह किसी की दखअंदाजी पसंद नहीं करती है.
A bench comprising Chief Justice S A Bobde and Justices R Subhash Reddy and A S Bopanna passed the order on the plea filed by Attorney General K K Venugopal. The bench refrained from using the name of 'WhatsApp' in the order.https://t.co/gBuhVTdnEV
— News18 (@CNNnews18) July 10, 2020