BY–THE FIRE TEAM
बीते 31 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित एसएससी की परीक्षा 2017 के परिणाम की घोषणा पर रोक लगाते हुए यह कहा था कि ऐसा लगता है कि परीक्षा की समूची प्रणाली ही दूषित है।
आपको बताते चलें कि 2017 की संयुक्त स्नातक स्तर और सीनियर सेकेंडरी स्तर की परीक्षा घोटाले पर न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ जांच कर रही है।
इस पीठ ने कर्मचारी चयन आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि 2017 में हुई परीक्षा के घोटाले का लाभ लेकर वह लोगों को सरकारी नौकरी में प्रवेश की अनुमति नहीं दे सकती।
पीठ ने कहा, “केंद्रीय जांच ब्यूरो की 25 जुलाई और 30 अगस्त 2018 की स्थिति रिपोर्ट के अवलोकन से हमने पाया कि इसमें यह मानने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है कि सीजीएल परीक्षा 2017 और सीएचएसएल परीक्षा 2017 दूषित थी।
अतः अगले आदेश तक कर्मचारी चयन आयोग को इन परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने से रोका जाता है।”
पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से जांच संबंधी ब्यूरो की प्रगति रिपोर्ट पर कहा, “मिस्टर सालिसीटर आपको सरकार के बाहर आ जाना चाहिए। आज आप जांच ब्यूरो की ओर से पेश हो रहे हैं।
आप आरोपियों का बचाव करने के लिए उस स्थिति रिपोर्ट से अलग रुख कैसे अपना सकते हैं जो आपने दाखिल की है। स्थिति रिपोर्ट के अनुसार तो आपको तो करना चाहिए था कि परीक्षा रद्द की जानी चाहिए।”
आपको बताते चलें कि सालिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी जांच ब्यूरो की ओर से अदालत में पेश हुए थे।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने न्यायालय से अनुरोध किया कि जांच ब्यूरो की स्थिति रिपोर्ट याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण को नहीं दी जाए क्योंकि इसमें कुछ संवेदनशील बयान भी हैं।
इस पर पीठ ने बनर्जी से असहमति व्यक्त करते हुए कहा की रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे गोपनीय या संवेदनशील कहा जा सके।
आपको बताते चलें कि इस परीक्षा से संबंधित धांधली को लेकर शांतनु कुमार ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी।
इस याचिका को लेकर वकील प्रशांत भूषण और गोविंद जी शांतनु कुमार की ओर से केस देख रहे हैं।
अदालत में सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण और गोविंद जी ने कहा,” इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जांच ब्यूरो उन्हें स्थिति रिपोर्ट देता है या नहीं क्योंकि इसकी स्थिति रिपोर्ट में ही सिफी टेक्नालजीज प्राइवेट लिमिटेड के संत प्रसाद गुप्ता पर आरोप लगाए गए हैं।
दरअसल संत प्रसाद गुप्ता ही प्रश्न पत्रों का संरक्षक था और जांच एजेंसी उसकी जांच कर रही हैं।
प्रशांत भूषण ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह परीक्षा पर प्रतिबंध लगाए। उन्होने कहा मैं अनुरोध इसलिए कर रहा हूं क्योंकि एक-दो दिन में ही आयोग नतीजे घोषित कर सकता है।
आपको बताते चलें कि देश में हर साल कर्मचारी चयन आयोग हजारो कर्मचारियों को नियुक्त करता है। इसके लिए लाखों अभ्यर्थी हर साल परीक्षा में बैठते हैं।
पिछले कई साल से कर्मचारी चयन आयोग पर परीक्षा से संबंधित धांधली का आरोप भी लगता रहा है।
बीते एक साल में एसएससी की तैयारी कर रहे तमाम छात्रों ने देशभर में कई आंदोलन भी किए हैं।
आपको बताते चलें कि कर्मचारी चयन आयोग एक साल से भी ज्यादा समय लगा रहा है परीक्षा परिणाम घोषित करने में।
source-PTI(BHASHA)