BY-THE FIRE TEAM
प्राप्त सूचना के अनुसार एक सरकारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस समय देश में गैर-संचारी बीमारियां जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि तेजी से पावं पसार रही हैं.
आज समाज में ये लाइफ स्टाइल बिमारियों के नाम से पहचान बना चुकी हैं जिनसे हर दसवां व्यक्ति जुझता नजर आ रहा है. आपको बता दें कि भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान
(आईसीएमआर) के हवाले से पता चला है कि विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष का प्रयोग करके मापा गया.
संचारी रोग नवजात, मातृ पोषण, सम्बन्धी रोगों के कारण रोग का बोझ 1990 और 2016 के बीच 61 प्रतिशत से गिरकर 33 प्रतिशत पर आ गया है. वहीं गैर संचारी रोग के
चलते रोगों का भार 33 फीसद से बढ़कर 55 फीसद पहुँच चुका है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल, 2019 के मुताबिक भारत में 10926 लोगों पर सिर्फ एक ही एलोपैथिक चिकित्सक है.
जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि एक हजार लोगों पर एक चिकित्सक होना चाहिए. यह रिपोर्ट हमारे लगातार बढ़ती जीवनचर्या पर विचार करने
तथा सिस्टम की निष्क्रियता पर प्रश्न चिन्ह लगाती है कि आखिर क्यों इतने पैसे खर्च कर देने के बाद भी हम एक बेहतर और टिकाऊ चिकित्सा तंत्र खड़ा नहीं कर पा रहे हैं.?