BY-THE FIRE TEAM
प्राप्त सूचना के अनुसार भारत सरकार ने नानाजी देशमुख, भूपेन हजारिका और प्रणब मुखर्जी को उनके योगदानों को देखते हुए ‘भारत रत्न’ देने का फ़ैसला किया है.
इनमें नानाजी देशमुख और भूपेन हज़ारिका को ये सम्मान मरणोपरांत दिया गया है जबकि कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रणब मुखर्जी भारत के पूर्व राष्ट्रपति रहे हैं.
#BharatRatna Social activist Nanaji Deshmukh, singer Bhupen Hazarika and former president Pranab Mukherjee have been conferred the country's highest civilian award.https://t.co/mFw3vdf3eX
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) January 25, 2019
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीनों को भारत रत्न दिए जाने पर अलग अलग ट्वीट करके इनके योगदानों के बारे में बताया है.
मोदी के मुताबिक़ नानाजी देशमुख के ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए विकास कामों का जिक्र करते हुए उन्हें सच्चा भारत रत्न बताया है.
Congratulations to all those who have been conferred the Padma Awards.
India is proud of each and every awardee, for the rich contributions towards various fields.
They have made our nation and the world a better place! https://t.co/4HNmvoXYyU
— Narendra Modi (@narendramodi) January 25, 2019
नानजी देशमुख का सफ़र :
11 अक्तूबर, 1916 को महाराष्ट्र के हिंगोली में जन्मे नानाजी देशमुख मूल रूप से समाजसेवी रहे. इस दौरान उनका जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ से भी रहा.
1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी थी, तब मोरारजी देसाई ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था लेकिन नानाजी देशमुख ने कहा था कि-
60 साल से अधिक उम्र होने वाले लोगों को सरकार से बाहर रह कर समाजसेवा करना चाहिए. वे उस चुनाव में बलरामपुर सीट से जीते थे.
1980 में सक्रिय राजनीति से उन्होंने संन्यास ले लिया लेकिन दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना करके समाजसेवा से जुड़े रहे.अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1999 में उन्हें राज्यसभा
का सदस्य बनाया और उसी साल समाज सेवा के लिए उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 95 साल की उम्र में नानाजी देशमुख का निधन 27 फरवरी, 2010 को चित्रकूट में हुआ था.
भूपेन हज़ारिका का योगदान :
भूपेन हज़ारिका गायक और संगीतकार होने के साथ ही एक कवि, फ़िल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार थे.
उनका निधन पांच नवंबर, 2011 को हुआ था. उन्हें दक्षिण एशिया के सबसे नामचीन सांस्कृतिक कर्मियों में से एक माना जाता रहा था.
अपनी मूल भाषा असमी के अलावा भूपेन हज़ारिका ने हिंदी, बंगाली समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाने गाए. उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत को लोकप्रिय बनाने का श्रेय भी जाता है.
उन्होंने फ़िल्म ‘गांधी टू हिटलर’ में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन ‘वैष्णव जन’ गाया था. हज़ारिका को कई पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया था
जिसमें पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं. भारत में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल के दौरान वे भारतीय जनता पार्टी में भी शामिल हो गए थे.
पांच दशकों के राजनेता प्रणब मुखर्जी :
करीब पांच दशकों तक देश की राजनीति में सक्रिय रहे प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति रहे हैं. हालांकि पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद दो बार राष्ट्रपति रहे इसलिए वे इस पद पर आसीन होने वाले 12वें व्यक्ति थे.
हाल के सालों में नरेंद्र मोदी से नज़दीकी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय नागपुर जाने से चर्चा में रहे प्रणब मुखर्जी को कभी कांग्रेस पार्टी का संकटमोचक माना जाता था.
वे जुलाई 1969 में पहली बार राज्य सभा में चुनकर आए. उसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के लिए चुने गए.
वे 1980 से 1985 तक राज्य में सदन के नेता भी रहे. मुखर्जी ने मई 2004 में लोक सभा का चुनाव जीता और तब से उस सदन के नेता थे.
फरवरी 1973 में पहली बार केंद्रीय मंत्री बनने के बाद मुखर्जी ने करीब चालीस साल में कांग्रेस की या उसके नेतृत्व वाली सभी सरकारों में मंत्री पद संभाला.
2004 से 2014 तक की यूपीए सरकार में प्रणब मुखर्जी केंद्र सरकार और कांग्रेस पार्टी के संकटमोचक के तौर पर काम करते रहे हैं. और उसके बाद पांच साल तक देश के राष्ट्रपति रहे.